स्वर्ग की करेंसी..
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कल रात मैंने एक "सपना" देखा.! मेरी Death हो गई....
जीवन में कुछ अच्छे कर्म किये होंगे इसलिये यमराज मुझे स्वर्ग में ले गये...
देवराज इंद्र ने मुस्कुराकर मेरा स्वागत किया...
मेरे हाथ में एक बैग देखकर वे पूछने लगे ...
''इसमें क्या है..?"
मैंने कहा...'' इसमें मेरे जीवन भर की कमाई है, पन्द्रह लाख रूपये हैं ।"
इन्द्र ने 'BRP-16011966' नम्बर के एक लौकर की ओर इशारा करते हुए कहा-
''आप अपनी अमानत इसमें रख दीजिये..!''
मैं लौकर में अपनी बैग रख दी...
मुझे एक कमरा भी दिया...
मैं फ्रेश होकर टहलने के लिये बाहर निकला...
देवलोक के एक शॉपिंग मॉल में अदभूत वस्तुएं देखकर
मेरा मन ललचा गया..!
मैंने कुछ चीजें पसन्द करके वास्केट में डाली, और काउंटर पर जाकर उन्हें दो हजार की करारे नोटें देने लगा...
मॉल के मैनेजर ने नोटों को देखकर कहा,
''यह करेंसी यहाँ नहीं चलती..!''
यह सुनकर मैं हैरान रह गया..!
मैंने बास्केट का सारा सामान छोड़कर इंद्र के पास
जाकर मॉल में मेरे करेंसी नहीं लेने की शिकायत की।
इंद्र ने मुस्कुराते हुए कहा कि, ''आप एक व्यापारी के यहाँ काम करते थे फिर भी इतना भी नहीं जानते..?
कि आपकी करेंसी आपके बाजु के मुल्क
पाकिस्तान, श्रीलंका और बांगलादेश में भी नही चलती...
और आप मृत्यूलोक की करेंसी स्वर्गलोक में चलाने की
मूर्खता कर रहे हो..?''
यह सब सुनकर मुझे मानो साँप सूंघ गया..!
मैं जोर जोर से दहाड़े मारकर रोने लगा. और परमात्मा से
दरखास्त करने लगा,
''हे भगवान्.ये... क्या हो गया.?''
''मैंने कितनी मेहनत से ये पैसा कमाया..!''
''दिन नही देखा, रात नही देखा,"'' पैसा कमाया...!''
''जीवन भर हाय पैसा हाय पैसा किया...!
ना चैन से सोया, ना चैन से खाया...
बस, जिंदगी भर पैसा कमाया.!''
''और यह सब व्यर्थ गया..?''
''हाय राम, अब क्या होगा..!''
इंद्र ने कहा,- ''रोने से कुछ हासिल होने वालानहीं है.!! "
"जिन जिन लोगो ने यहाँ जितना भी पैसा लाया, सब रद्दी हो गया।"
"जमशेद जी टाटा के 55 हजार करोड़ रूपये,
बिरला जी के 47 हजार करोड़ रूपये,
धीरू भाई अम्बानी के 29 हजार करोड़
अमेरिकन डॉलर...! सबका पैसा यहां पड़ा है...!"
मैंने इंद्र से पूछा- "फिर यहां पर कौनसी करेंसी चलती है..?"
इंद्र ने कहा- "धरती पर अगर कुछ अच्छे कर्म किये है...!
जैसे किसी दुखियारे को मदद की, किसी रोते हुए को हसाया, किसी गरीब बच्ची कीवशादी कर दी, किसी अनाथ बच्चे को पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया...!
किसी को व्यसनमुक्त किया...! किसी अपंग स्कुल, वृद्धाश्रम या मंदिरों में दान धर्म किया...!"
"ऐसे पूण्य कर्म करने वालों को यहाँ पर एक क्रेडिट कार्ड मिलता है...! और उसी का उपयोग कर आप यहाँ
स्वर्गीय सुख का उपभोग ले सकते है..!''
मैंने कहा,"भगवन.... मुझे यह पता नहीं था. इसलिए मैंने अपना जीवन व्यर्थ गँवा दिया.!!"
"हे प्रभु, मुझे थोडा आयुष्य दीजिये..!''
और मैं गिड़गिड़ाने लगा.!
इंद्र को मुझ पर दया आ गई.!!
इंद्र ने तथास्तु कहा और मेरी नींद खुल गयी..!
मैं जाग गया..!
अब मैं वो दौलत कमाऊँगा
जो वहाँ चलेगी..!!
रचना किसी और की है मैंने तो आप तक पहुंचाने में सिर्फ मेरी उंगलियों का इस्तेमाल किया है।
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