Sunday, December 29, 2019

Crazy house wives

"ये गृहणियाँ भी थोड़ी पागल सी होती हैं"
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सलीके से आकार दे कर
रोटियों को गोल बनाती हैं
अौर अपने शरीर को ही
आकार देना भूल जाती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं।।

ढेरों वक्त़ लगा कर घर का
हर कोना कोना चमकाती हैं
उलझी बिखरी ज़ुल्फ़ों को
ज़रा सा वक्त़ नही दे पाती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं।।

किसी के बीमार होते ही
सारा घर सिर पर उठाती हैं
कर अनदेखा अपने दर्द
सब तकलीफ़ें टाल जाती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं ।।

खून पसीना एक कर
सबके सपनों को सजाती हैं
अपनी अधूरी ख्वाहिशें सभी
दिल में दफ़न कर जाती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं।।

सबकी बलाएँ लेती हैं
सबकी नज़र उतारती हैं
ज़रा सी ऊँच नीच हो तो
नज़रों से उतर ये जाती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं।।

एक बंधन में बँध कर
कई रिश्तें साथ ले चलती हैं
कितनी भी आए मुश्किलें
प्यार से सबको रखती हैं
ये गृहणियाँ भी
थोड़ी पागल सी होती हैं।।

मायके से सासरे तक
हर जिम्मेदारी निभाती है
कल की भोली गुड़िया रानी
आज समझदार हो जाती हैं
ये गृहणियाँ भी.....
वक्त़ के साथ ढल जाती हैं।।
😊😊 शुभ दोपहरी

Saturday, November 9, 2019

आओ कोई बात करते हैं

*आओ किसी का यूँही, इंतजार करते हैं..!*
*चाय बनाकर फिर, कोई बात करते हैं..!!*

*उम्र पचास के पार, हो गई हमारी..!*
*बुढ़ापे का, इस्तक़बाल करते है..!!*

*कौन आएगा अब, हमको देखने यहां..!*
*एक दूसरे की, देखभाल करते है..!!*

*बच्चे हमारी पहुंच से, अब दूर हो गए..!*
*आओ फिर से दोस्तो को, कॉल करते हैं..!!*

*जिंदगी जो बीत गई, सो बीत गई..!*
*बाकी बची में फिर से, प्यार करते हैं..!!*

*खुदा ने जो भी दिया, लाजवाब दिया..!*
*चलो शुक्रिया उसका, बार बार करते हैं..!!*

*सभी का हाल यही है, इस जमाने में..!*
*ग़ज़ल ये सबके, नाम करते हैं,*

Friday, November 8, 2019

किवाड़

*क्या आपको पता है ?*
*कि किवाड़ की जो जोड़ी होती है,*
*उसका एक पल्ला पुरुष और,*
 *दूसरा पल्ला स्त्री होती है।*

*ये घर की चौखट से जुड़े - जड़े रहते हैं।*
*हर आगत के स्वागत में खड़े रहते हैं।।*
*खुद को ये घर का सदस्य मानते हैं।*
*भीतर बाहर के हर रहस्य जानते हैं।।*

*एक रात उनके बीच था संवाद।*
*चोरों को लाख - लाख धन्यवाद।।*
*वर्ना घर के लोग हमारी ,*
*एक भी चलने नहीं देते।*
*हम रात को आपस में मिल तो जाते हैं,*
*हमें ये मिलने भी नहीं देते।।*

*घर की चौखट से साथ हम जुड़े हैं,*
*अगर जुड़े जड़े नहीं होते।*
*तो किसी दिन तेज आंधी -तूफान आता,* 
*तो तुम कहीं पड़ी होतीं,*
*हम कहीं और पड़े होते।।*

*चौखट से जो भी एकबार उखड़ा है।*
*वो वापस कभी भी नहीं जुड़ा है।।*

*इस घर में यह जो झरोखे ,*
*और खिड़कियाँ हैं।*
*यह सब हमारे लड़के,*
 *और लड़कियाँ हैं।।*
*तब ही तो,*
*इन्हें बिल्कुल खुला छोड़ देते हैं।*
*पूरे घर में जीवन रचा बसा रहे,*
*इसलिये ये आती जाती हवा को,*
*खेल ही खेल में ,*
*घर की तरफ मोड़ देते हैं।।*

*हम घर की सच्चाई छिपाते हैं।*
*घर की शोभा को बढ़ाते हैं।।*
*रहे भले कुछ भी खास नहीं ,* 
*पर उससे ज्यादा बतलाते हैं।*
*इसीलिये घर में जब भी,*
 *कोई शुभ काम होता है।*
*सब से पहले हमीं को,*
 *रँगवाते पुतवाते हैं।।*

*पहले नहीं थी,*
*डोर बेल बजाने की प्रवृति।*
*हमने जीवित रखा था जीवन मूल्य,* 
*संस्कार और अपनी संस्कृति।।*

*बड़े बाबू जी जब भी आते थे,*
*कुछ अलग सी साँकल बजाते थे।*
*आ गये हैं बाबूजी,*
*सब के सब घर के जान जाते थे ।।*
*बहुयें अपने हाथ का,*
 *हर काम छोड़ देती थी।*
*उनके आने की आहट पा,*
*आदर में घूँघट ओढ़ लेती थी।।*

*अब तो कॉलोनी के किसी भी घर में,*
*किवाड़ रहे ही नहीं दो पल्ले के।*
*घर नहीं अब फ्लैट हैं ,*
*गेट हैं इक पल्ले के।।*
*खुलते हैं सिर्फ एक झटके से।*
*पूरा घर दिखता बेखटके से।।*

*दो पल्ले के किवाड़ में,*
*एक पल्ले की आड़ में ,*
*घर की बेटी या नव वधु,*
*किसी भी आगन्तुक को ,*
*जो वो पूछता बता देती थीं।*
*अपना चेहरा व शरीर छिपा लेती थीं।।*

*अब तो धड़ल्ले से खुलता है ,*
*एक पल्ले का किवाड़।*
*न कोई पर्दा न कोई आड़।।*
*गंदी नजर ,बुरी नीयत, बुरे संस्कार,*
*सब एक साथ भीतर आते हैं ।*
*फिर कभी बाहर नहीं जाते हैं।।*

*कितना बड़ा आ गया है बदलाव?*
*अच्छे भाव का अभाव।*
 *स्पष्ट दिखता है कुप्रभाव।।*

*सब हुआ चुपचाप,*
*बिना किसी हल्ले गुल्ले के।*
*बदल दिये ये किवाड़,*
*हर घर के मुहल्ले के।।*

*अब घरों में दो पल्ले के ,*
*किवाड़ कोई नहीं लगवाता।*
*एक पल्ली ही अब,*
*हर घर की शोभा है बढ़ाता।।*

*अपनों में नहीं रहा वो अपनापन।*
*एकाकी सोच हर एक की है ,* 
*एकाकी मन है व स्वार्थी जन।।*
*अपने आप में हर कोई ,*
*रहना चाहता है मस्त,*
 *बिल्कुल ही इकलल्ला।*
*इसलिये ही हर घर के किवाड़ में,*
*दिखता है सिर्फ़ एक ही पल्ला!!*

वक़्त नहीं

हर  ख़ुशी   है  लोंगों   के  दामन  में
पर   एक   हंसी  के  लिये  वक़्त  नहीं

दिन  रात   दौड़ती   दुनिया   में 
ज़िन्दगी   के   लिये  ही   वक़्त नहीं

सारे   रिश्तों  को   तो  हम  मार चुके
अब   उन्हें   दफ़नाने  का   भी वक़्त  नहीं 

सारे   नाम   मोबाइल   में   हैं  
पर   दोस्ती   के   लिये   वक़्त  नहीं 

गैरों   की   क्या   बात  करें  
जब   अपनों   के   लिये    ही वक़्त  नहीं

आखों   में   है   नींद  भरी  
पर   सोने   का  वक़्त   नहीं

दिल  है  ग़मो  से  भरा  हुआ  
पर  रोने  का   भी   वक़्त   नहीं  

पैसों   की  दौड़  में   ऐसे   दौड़े की
थकने   का  भी   वक़्त   नहीं 

पराये  एहसानों   की  क्या   कद्र  करें  
जब  अपने   सपनों   के   लिये  ही  वक़्त  नहीं

तू   ही   बता  दे  ऐ   ज़िन्दगी  
इस   ज़िन्दगी   का   क्या  होगा 
की   हर   पल   मरने   वालों  को
जीने    के    लिये  भी    वक़्त  नहीं 
 📖

Friday, November 1, 2019

छठ महापर्व

*छठ पर्व*
*दुनिया का इकलौता ऐसा पावन पर्व जिसकी महत्ता दिन ब दिन बढ़ती जा रही है*।आज ये पर्व हिंदुस्तान ,मलेशिया के अलावे लंदन,अमेरिका में भी बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है।
*ये छठ पूजा जरुरी है*
*धर्म के लिए नहीं*,
*अपितु*..
हम-आप सभी के लिए
जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं ।
अपनी परंपरा, सभ्यता,संस्कृति, परिवार से दूर होते जा रहे है।

*ये छठ जरुरी है*
उन बेटों के लिए
जिनके घर आने का ये बहाना है ।

*ये छठ जरुरी है* 
उस माँ के लिए
जिन्हें अपनी संतान को देखे
महीनों हो जाते हैं,
उस परिवार के लिये
जो आज टुकड़ो में बंट गया है ।

*ये छठ जरुरी है*
उस आजकल की नई बहु/पुतोहु
 के लिए
जिन्हें नहीं पता कि
दो कमरों से बड़ा भी घर होता है ।

*ये छठ जरुरी है*
उनके लिए जिन्होंने नदियों को
सिर्फ किताबों में ही देखा है ।

*ये छठ जरुरी है*
उस परंपरा को ज़िंदा रखने के लिए
जो समानता की वकालत करता है ।

*ये छठ जरुरी है*
जो बताता है कि
बिना पुरोहित/ब्राह्मण भी पूजा हो सकती है ।

*ये छठ जरुरी है*
जो सिर्फ उगते सूरज को ही नहीं
डूबते सूरज को भी प्रणाम करना सिखाता है ।

*ये छठ जरुरी है*
गागर , निम्बू और सुथनी जैसे
फलों को जिन्दा रखने के लिए ।

*ये छठ जरुरी है*
सूप और दउरा को
बनाने वालों के लिए,
ये बताने के लिए कि,
इस समाज में उनका भी महत्व है ।

*ये छठ जरुरी है*
उन दंभी पुरुषों के लिए
जो नारी को कमज़ोर समझते हैं ।

*ये छठ जरुरी है*
भारतीयों के योगदान
और हिन्दुओ के सम्मान  के लिए ।

*ये छठ जरुरी है*
सांस्कृतिक विरासत और आस्था को
बनाये रखने के  लिए ।

*ये छठ जरुरी है*
परिवार तथा  समाज में 
एकता एवं एकरूपता के लिए ।

            II जय छठी मैया।।
    🙏🙏 जय छठी मईया 🙏🙏

Tuesday, October 15, 2019

माता सबरीऔर मर्यादा पुरषोत्तम राम का अद्भुत संवाद

एक टक देर तक उस सुपुरुष को निहारते रहने के बाद बुजुर्ग भीलनी के मुंह से स्वर/बोल फूटे :-

*"कहो राम !  सबरी की डीह ढूंढ़ने में अधिक कष्ट तो नहीं हुआ  ?"*

राम मुस्कुराए :-  *"यहां तो आना ही था मां, कष्ट का क्या मोल/मूल्य ?"*

*"जानते हो राम !   तुम्हारी प्रतीक्षा तब से कर रही हूँ, जब तुम जन्में भी नहीं थे|*   यह भी नहीं जानती थी,   कि तुम कौन हो ?   कैसे दिखते हो ?   क्यों आओगे मेरे पास ?   *बस इतना ज्ञात था,   कि कोई पुरुषोत्तम आएगा जो मेरी प्रतीक्षा का अंत करेगा|*

राम ने कहा :- *"तभी तो मेरे जन्म के पूर्व ही तय हो चुका था,   कि राम को सबरी के आश्रम में जाना है”|*

"एक बात बताऊँ प्रभु !   *भक्ति के दो भाव होते हैं |   पहला  ‘मर्कट भाव’,   और दूसरा  ‘मार्जार भाव’*|

*”बन्दर का बच्चा अपनी पूरी शक्ति लगाकर अपनी माँ का पेट पकड़े रहता है, ताकि गिरे न...  उसे सबसे अधिक भरोसा माँ पर ही होता है,   और वह उसे पूरी शक्ति से पकड़े रहता है। यही भक्ति का भी एक भाव है, जिसमें भक्त अपने ईश्वर को पूरी शक्ति से पकड़े रहता है|  दिन रात उसकी आराधना करता है...”* (मर्कट भाव)

पर मैंने यह भाव नहीं अपनाया|  *”मैं तो उस बिल्ली के बच्चे की भाँति थी,   जो अपनी माँ को पकड़ता ही नहीं, बल्कि निश्चिन्त बैठा रहता है कि माँ है न,   वह स्वयं ही मेरी रक्षा करेगी,   और माँ सचमुच उसे अपने मुँह में टांग कर घूमती है...   मैं भी निश्चिन्त थी कि तुम आओगे ही, तुम्हें क्या पकड़ना..."* (मार्जार भाव)

राम मुस्कुरा कर रह गए |

भीलनी ने पुनः कहा :-   *"सोच रही हूँ बुराई में भी तनिक अच्छाई छिपी होती है न...   “कहाँ सुदूर उत्तर के तुम,   कहाँ घोर दक्षिण में मैं”|   तुम प्रतिष्ठित रघुकुल के भविष्य,   मैं वन की भीलनी...   यदि रावण का अंत नहीं करना होता तो तुम कहाँ से आते ?”*

राम गम्भीर हुए | कहा :-

*भ्रम में न पड़ो मां !   “राम क्या रावण का वध करने आया है” ?*

*रावण का वध तो,  लक्ष्मण अपने पैर से बाण चला कर कर सकता है|*

*राम हजारों कोस चल कर इस गहन वन में आया है,   तो केवल तुमसे मिलने आया है मां,   ताकि “सहस्त्रों वर्षों बाद,  जब कोई भारत के अस्तित्व पर प्रश्न खड़ा करे तो इतिहास चिल्ला कर उत्तर दे,   कि इस राष्ट्र को क्षत्रिय राम और उसकी भीलनी माँ ने मिल कर गढ़ा था”|*

*जब कोई  भारत की परम्पराओं पर उँगली उठाये तो काल उसका गला पकड़ कर कहे कि नहीं !   यह एकमात्र ऐसी सभ्यता है जहाँ,   एक राजपुत्र वन में प्रतीक्षा करती एक दरिद्र वनवासिनी से भेंट करने के लिए चौदह वर्ष का वनवास स्वीकार करता है|*

*राम वन में बस इसलिए आया है,   ताकि “जब युगों का इतिहास लिखा जाय,   तो उसमें अंकित हो कि ‘शासन/प्रशासन/सत्ता’ जब पैदल चल कर समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे तभी वह रामराज्य है”|*
(अंतयोदय)

*राम वन में इसलिए आया है,  ताकि भविष्य स्मरण रखे कि प्रतीक्षाएँ अवश्य पूरी होती हैं|   राम रावण को मारने भर के लिए नहीं आया हैं  मां|*

माता सबरी एकटक राम को निहारती रहीं |

राम ने फिर कहा :-

*राम की वन यात्रा रावण युद्ध के लिए नहीं है माता ! “राम की यात्रा प्रारंभ हुई है,   भविष्य के आदर्श की स्थापना के लिए”|*

*राम निकला है,   ताकि “विश्व को संदेश दे सके कि माँ की अवांछनीय इच्छओं को भी पूरा करना ही 'राम' होना है”|*

*राम निकला है,   कि ताकि “भारत को सीख दे सके कि किसी सीता के अपमान का दण्ड असभ्य रावण के पूरे साम्राज्य के विध्वंस से पूरा होता है”|*

*राम आया है,   ताकि “भारत को बता सके कि अन्याय का अंत करना ही धर्म है”|*

*राम आया है,   ताकि “युगों को सीख दे सके कि विदेश में बैठे शत्रु की समाप्ति के लिए आवश्यक है, कि पहले देश में बैठी उसकी समर्थक सूर्पणखाओं की नाक काटी जाय, और खर-दूषणों का घमंड तोड़ा जाय”|*

और

*राम आया है,   ताकि “युगों को बता सके कि रावणों से युद्ध केवल राम की शक्ति से नहीं बल्कि वन में बैठी सबरी के आशीर्वाद से जीते जाते हैं”|*

सबरी की आँखों में जल भर आया था|
उसने बात बदलकर कहा :-  "बेर खाओगे राम” ?

राम मुस्कुराए,   "बिना खाये जाऊंगा भी नहीं मां"

सबरी अपनी कुटिया से झपोली में बेर ले कर आई और राम के समक्ष रख दिया|

राम और लक्ष्मण खाने लगे तो कहा :-
"बेर मीठे हैं न प्रभु” ?

*"यहाँ आ कर मीठे और खट्टे का भेद भूल गया हूँ मां ! बस इतना समझ रहा हूँ,  कि यही अमृत है”|*

सबरी मुस्कुराईं, बोलीं :-   *"सचमुच तुम मर्यादा पुरुषोत्तम हो, राम"*
अखंड भारत-राष्ट्र के महानायक, मर्यादा-पुरुषोत्तम, भगवान श्री राम को बारंबार सादर वन्दन !

Wednesday, October 9, 2019

पता ही नहीं चला

समय चला , पर कैसे चला,
पता ही नहीं चला ,
ज़िन्दगी की आपाधापी में ,
कब निकली उम्र हमारी यारो ,
*पता ही नहीं चला ,*

कंधे पर चढ़ने वाले बच्चे ,
        कब कंधे तक आ गए ,
*पता ही नहीं चला ,*

किराये के घर से शुरू हुआ था सफर अपना ,
  कब अपने घर तक आ गए ,
*पता ही नहीं चला ,*

साइकिल के पैडल मारते हुए                      हांफते थे उस वक़्त,
कब से हम कारों में घूमने लगे हैं ,
*पता ही नहीं चला ,*

कभी थे जिम्मेदारी हम माँ बाप की ,
कब बच्चों के लिए हुए जिम्मेदार हम ,
*पता ही नहीं चला ,*

एक दौर था जब दिन में भी
            बेखबर सो जाते थे ,
कब रातों की उड़ गई नींद ,
*पता ही नहीं चला ,*

जिन काले घने बालों पर
     इतराते थे कभी हम ,
कब सफेद होना शुरू हो गए
*पता ही नहीं चला ,*

दर दर भटके थे नौकरी की खातिर ,
        कब रिटायर हो गए  समय  का ,
*पता ही नहीं चला ,*

बच्चों के लिए कमाने बचाने में  
                       इतने मशगूल हुए हम ,
                        कब बच्चे हमसे हुए दूर ,
*पता ही नहीं चला ,*

भरे पूरे परिवार से सीना चौड़ा रखते थे हम ,
अपने भाई बहनों पर गुमान था ,
  उन सब का साथ छूट गया ,
कब परिवार हम दो पर सिमट गया ,
*पता ही नहीं चला ,*

अब सोच रहे थे  अपने
                             लिए भी कुछ करे ,
         पर शरीर  ने साथ देना बंद कर दिया ,
*पता ही नहीं चला*
It's truth of life

मेरे बच्चे अब बडे़ हो गए हैं

*मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं*

बिस्तरों पर अब सलवटें नहीं पड़ती
ना ही इधर उधर छितराए हुए कपड़े हैं
रिमोट  के लिए भी अब झगड़ा नहीं होता
ना ही खाने की नई नई फ़रमाइशें हैं

*मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं*

सुबह अख़बार के लिए भी नहीं होती मारा मारी
घर बहुत बड़ा और सुंदर दिखता है
पर हर कमरा बेजान सा लगता है
अब तो वक़्त काटे भी नहीं कटता
बचपन की यादें कुछ दिवार पर, फ़ोटो में सिमट गयी हैं

*मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं*

अब मेरे गले से कोई नहीं लटकता
ना ही घोड़ा बनने की ज़िद होती है
खाना खिलाने को अब चिड़िया नहीं उड़ती
खाना खिलाने के बाद की तसल्ली भी, अब नहीं मिलती
ना ही रोज की बहसों और तर्कों का संसार है
ना अब झगड़ों को निपटाने का मजा है
ना ही बात बेबात गालों पर मिलता दुलार है
बजट की खींच तान भी अब नहीं है

*मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं*

पलक झपकते ही जीवन का स्वर्ण काल निकल गया
पता ही नहीं चला
इतना ख़ूबसूरत अहसास कब पिघल गया
पता ही नहीं चला
तोतली सी आवाज़ में हर पल उत्साह था
पल में हँसना, पल में रो देना
बेसाख़्ता गालों पर उमड़ता प्यार था
कंधे पर थपकी और गोद में सो जाना
सीने पर लिटाकर वो लोरी सुनाना
बार बार उठ कर रज़ाई को ओढ़ाना
अब तो बिस्तर बहुत बड़ा हो गया है
मेरे बच्चों का प्यारा बचपन, कहीं खो गया है

*मेरे बच्चे अब बडे हो गए हैं और हम अकेले हो गए हैं*

अब कोई जुराबें इधर उधर नहीं फेंकता है..
अब fridge भी घर की तरह खाली रहता है
बाथरूम भी सूखा रहता है
Kitchen हर दम सिमटा रहता है
अब हर घंटी पर लगता है कि, शायद कोई surprise है
और बच्चों की कोई नयी फरमाइश है
अब तो रोज सुबह शाम मेरी सेहत फोन पर पूछते हैं
मुझे अब आराम की हिदायत देते हैं
पहले हम उनके  झगड़े निपटाते थे
आज वे हमें समझाते हैं
लगता है अब शायद हम बच्चे हो गए हैं

*मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं, और हम अकेले हो गए हैं*
*मेरे बच्चे अब बडे़ हो गए हैं, और हम अकेले हो गए हैं*

    💐💐💐सभी माता पिता को समर्पित💐💐💐

Wednesday, September 25, 2019

100 things to know

*योग की कुछ 100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए*
1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
2. *लकवा* - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
3. *हाई वी पी में* -  स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
4. *लो बी पी* - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
5. *कूबड़ निकलना*- फास्फोरस की कमी ।
6. *कफ* - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं
7. *दमा, अस्थमा* - सल्फर की कमी ।
8. *सिजेरियन आपरेशन* - आयरन , कैल्शियम की कमी ।
9. *सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें* ।
10. *अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें* ।
11. *जम्भाई*- शरीर में आक्सीजन की कमी ।
12. *जुकाम* - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
13. *ताम्बे का पानी* - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
14.  *किडनी* - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
15. *गिलास* एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें,  लोटे का कम  सर्फेसटेन्स होता है ।
16. *अस्थमा , मधुमेह , कैंसर* से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
17. *वास्तु* के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
18. *परम्परायें* वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
19. *पथरी* - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
20. *RO* का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए *सहिजन* की फली सबसे बेहतर है ।
21. *सोकर उठते समय* हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का *स्वर* चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
22. *पेट के बल सोने से* हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
23.  *भोजन* के लिए पूर्व दिशा , *पढाई* के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
24.  *HDL* बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
25. *गैस की समस्या* होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
26.  *चीनी* के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से *पित्त* बढ़ता है ।
27.  *शुक्रोज* हजम नहीं होता है *फ्रेक्टोज* हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
28. *वात* के असर में नींद कम आती है ।
29.  *कफ* के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
30. *कफ* के असर में पढाई कम होती है ।
31. *पित्त* के असर में पढाई अधिक होती है ।
33.  *आँखों के रोग* - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
34. *शाम को वात*-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
35.  *प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए* ।
36. *सोते समय* रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
37. *व्यायाम* - *वात रोगियों* के लिए मालिश के बाद व्यायाम , *पित्त वालों* को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । *कफ के लोगों* को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
38. *भारत की जलवायु* वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
39. *जो माताएं* घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
40. *निद्रा* से *पित्त* शांत होता है , मालिश से *वायु* शांति होती है , उल्टी से *कफ* शांत होता है तथा *उपवास* ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
41.  *भारी वस्तुयें* शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
42. *दुनियां के महान* वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
43. *माँस खाने वालों* के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
44. *तेल हमेशा* गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
45. *छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।*
46. *कोलेस्ट्रोल की बढ़ी* हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
47. *मिर्गी दौरे* में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
48. *सिरदर्द* में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
49. *भोजन के पहले* मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
50. *भोजन* के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
51. *अवसाद* में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है
52.  *पीले केले* में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
53.  *छोटे केले* में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
54. *रसौली* की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
55.  हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
56. *एंटी टिटनेस* के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
57. *ऐसी चोट* जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
58. *मोटे लोगों में कैल्शियम* की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
59. *अस्थमा में नारियल दें ।* नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
60. *चूना* बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
61.  *दूध* का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
62.  *गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।*
63.  *जिस भोजन* में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए
64.  *गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।*
65.  *गाय के दूध* में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
66.  *मासिक के दौरान* वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे  गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
67. *रात* में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
68. *भोजन के* बाद बज्रासन में बैठने से *वात* नियंत्रित होता है ।
69. *भोजन* के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
70. *अजवाईन* अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है
71. *अगर पेट* में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें
72. *कब्ज* होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।
73. *रास्ता चलने*, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
74. *जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।*
75.  *बिना कैल्शियम* की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
76. *स्वस्थ्य व्यक्ति* सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
77. *भोजन* करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
78. *सुबह के नाश्ते* में फल , *दोपहर को दही* व *रात्रि को दूध* का सेवन करना चाहिए ।
79. *रात्रि* को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
80.  *शौच और भोजन* के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
81. *मासिक चक्र* के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
82. *जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।*
83. *जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।*
84. *एलोपैथी* ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
85. *खाने* की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
86 .  *रंगों द्वारा* चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
87 . *छोटे* बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए
88. *जो सूर्य निकलने* के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।
89.  *बिना शरीर की गंदगी* निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
90. *चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।*
91.  *गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।*
92. *प्रसव* के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती  है ।
93. *रात को सोते समय* सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा
94. *दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए*।
95. *जो अपने दुखों* को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
96. *सोने से* आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
97. *स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है*।
98 . *तेज धूप* में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है
99. *त्रिफला अमृत है* जिससे *वात, पित्त , कफ* तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।  देशी गाय का घी , गौ-मूत्र भी त्रिदोष नाशक है ।
100. इस विश्व की सबसे मँहगी *दवा। लार* है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके ।

_*जनजागृति हेतु लेख को पढ़ने के बाद साझा अवश्य करें।*

Monday, September 23, 2019

अहंकार

*एक प्रेरक कहानी :--*

एक गाय घास चरने के लिए एक जंगल में चली गई। शाम ढलने के करीब थी। उसने देखा कि एक बाघ उसकी तरफ दबे पांव बढ़ रहा है।

वह डर के मारे इधर-उधर भागने लगी। वह बाघ भी उसके पीछे दौड़ने लगा। दौड़ते हुए गाय को सामने एक तालाब दिखाई दिया। घबराई हुई गाय उस तालाब के अंदर घुस गई।

वह बाघ भी उसका पीछा करते हुए तालाब के अंदर घुस गया। तब उन्होंने देखा कि वह तालाब बहुत गहरा नहीं था। उसमें पानी कम था और वह कीचड़ से भरा हुआ था।

उन दोनों के बीच की दूरी काफी कम हुई थी। लेकिन अब वह कुछ नहीं कर पा रहे थे। वह गाय उस किचड़ के अंदर धीरे-धीरे धंसने लगी। वह बाघ भी उसके पास होते हुए भी उसे पकड़ नहीं सका। वह भी धीरे-धीरे कीचड़ के अंदर धंसने लगा। दोनों भी करीब करीब गले तक उस कीचड़ के अंदर फस गए।

दोनों हिल भी नहीं पा रहे थे। गाय के करीब होने के बावजूद वह बाघ उसे पकड़ नहीं पा रहा था।

थोड़ी देर बाद गाय ने उस बाघ से पूछा, क्या तुम्हारा कोई गुरु या मालिक है?

बाघ ने गुर्राते हुए कहा, मैं तो जंगल का राजा हूं। मेरा कोई मालिक नहीं। मैं खुद ही जंगल का मालिक हूं। गाय ने कहा, लेकिन तुम्हारे उस शक्ति का यहां पर क्या उपयोग है?

उस बाघ ने कहा, तुम भी तो फस गई हो और मरने के करीब हो। तुम्हारी भी तो हालत मेरे जैसी है।

गाय ने मुस्कुराते हुए कहा, बिलकुल नहीं। मेरा मालिक जब शाम को घर आएगा और मुझे वहां पर नहीं पाएगा तो वह ढूंढते हुए यहां जरूर आएगा और मुझे इस कीचड़ से निकाल कर अपने घर ले जाएगा। तुम्हें कौन ले जाएगा?

थोड़ी ही देर में सच में ही एक आदमी वहां पर आया और गाय को कीचड़ से निकालकर अपने घर ले गया।

जाते समय गाय और उसका मालिक दोनों एक दूसरे की तरफ कृतज्ञता पूर्वक देख रहे थे। वे चाहते हुए भी उस बाघ को कीचड़ से नहीं निकाल सकते थे, क्योंकि उनकी जान के लिए वह खतरा था।

*गाय समर्पित ह्रदय का प्रतीक है। बाघ अहंकारी मन है और मालिक ईश्वर का प्रतीक है। कीचड़ यह संसार है और यह संघर्ष अस्तित्व की लड़ाई है। किसी पर निर्भर नहीं होना अच्छी बात है, लेकिन मैं ही सब कुछ हूं, मुझे किसी के सहयोग की आवश्यकता नहीं है, यही अहंकार है, और यहीं से विनाश का बीजारोपण हो जाता है।*  

  *ईश्वर से बड़ा इस दुनिया में सच्चा हितैषी कोई नहीं होता, क्यौंकि वही अनेक रूपों से हमारी रक्षा करता है।*