Thursday, December 21, 2017

Wait three months for happy new year

राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह " दिनकर " जी की कविता

ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं
धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है
बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं
हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं
चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो
नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही
उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो
प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो
प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता
घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर
जय गान सुनाया जायेगा
युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध
नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध
आर्यों की कीर्ति सदा -सदा
नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
अनमोल विरासत के धनिकों को
चाहिये कोई उधार नहीं
ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं
है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं  

~~~~~~राष्ट्रकवि रामधारीसिंह दिनकर ~~~~~~~

Wednesday, November 29, 2017

35 + उम्र के मित्रो के लिए

35 + उम्र के मित्रो के लिए   एक कविता

जीवन में पैतीस पार का मनुष्य कैसा होता है ?

थोड़ी सी सफेदी कनपटियों के पास,

खुल रहा हो जैसे आसमां बारिश के बाद,

जिम्मेदारियों के बोझ से झुकते हुए कंधे,

जिंदगी की भट्टी में खुद को गलाता हुआ,

अनुभव की पूंजी हाथ में लिए,

परिवार को वो सब देने की जद्दोजहद में,

जो उसे नहीं मिल पाया था,

बस बहे जा रहा है समय की धारा में,

एक खूबसूरत सी बीवी,

एक-दो प्यारे से बच्चे,

पूरा दिन दुनिया से लड़ कर थका हारा,

रात को घर आता है, सुकून की तलाश में,

लेकिन क्या मिल पाता है सुकून उसे,

दरवाजे पर ही तैयार हैं बच्चे,

पापा से ये मंगाया था, वो मंगाया था,

नहीं लाए तो क्यों नहीं लाए,

लाए तो ये क्यों लाए वो क्यों नहीं लाए,

अब वो क्या कहे बच्चों से,

कि जेब में पैसे थोड़े कम थे,

कभी प्यार से, कभी डांट कर,

समझा देता है उनको,

एक बूंद आंसू की जमी रह जाती है,

आँख के कोने में,

लेकिन दिखती नहीं बच्चों को,

उस दिन दिखेगी उन्हें, जब वो खुद, बन जाएंगे माँ बाप अपने बच्चों के,

खाने की थाली में दो रोटी के साथ,

परोस दी हैं पत्नी ने दस चिंताएं,

कभी,

तुम्हीं नें बच्चों को सर चढ़ा रखा है,

कुछ कहते ही नहीं,

कभी,

हर वक्त डांटते ही रहते हो बच्चों को,

कभी प्यार से बात भी कर लिया करो,

लड़की सयानी हो रही है,

तुम्हें तो कुछ दिखाई ही नहीं देता,

लड़का हाथ से निकला जा रहा है,

तुम्हें तो कोई फिक्र ही नहीं है,

पड़ोसियों के झगड़े, मुहल्ले की बातें,

शिकवे शिकायतें दुनिया भर की,

सबको पानी के घूंट के साथ,

गले के नीचे उतार लेता है,

जिसने एक बार हलाहल पान किया,

वो सदियों नीलकंठ बन पूजा गया,

यहाँ रोज़ थोड़ा थोड़ा विष पीना पड़ता है,

जिंदा रहने की चाह में,

फिर लेटते ही बिस्तर पर,

मर जाता है एक रात के लिए,

क्योंकि

सुबह फिर जिंदा होना है,

काम पर जाना है,

कमा कर लाना है,

ताकि घर चल सके,
कुछ जीवन बच सके
जो हम न बने
वो बच्चे बन सके...।।
साभार सभी मित्रों का

35 + उम्र के मित्रो के लिए

35 + उम्र के मित्रो के लिए   एक कविता

जीवन में पैतीस पार का मनुष्य कैसा होता है ?

थोड़ी सी सफेदी कनपटियों के पास,

खुल रहा हो जैसे आसमां बारिश के बाद,

जिम्मेदारियों के बोझ से झुकते हुए कंधे,

जिंदगी की भट्टी में खुद को गलाता हुआ,

अनुभव की पूंजी हाथ में लिए,

परिवार को वो सब देने की जद्दोजहद में,

जो उसे नहीं मिल पाया था,

बस बहे जा रहा है समय की धारा में,

एक खूबसूरत सी बीवी,

एक-दो प्यारे से बच्चे,

पूरा दिन दुनिया से लड़ कर थका हारा,

रात को घर आता है, सुकून की तलाश में,

लेकिन क्या मिल पाता है सुकून उसे,

दरवाजे पर ही तैयार हैं बच्चे,

पापा से ये मंगाया था, वो मंगाया था,

नहीं लाए तो क्यों नहीं लाए,

लाए तो ये क्यों लाए वो क्यों नहीं लाए,

अब वो क्या कहे बच्चों से,

कि जेब में पैसे थोड़े कम थे,

कभी प्यार से, कभी डांट कर,

समझा देता है उनको,

एक बूंद आंसू की जमी रह जाती है,

आँख के कोने में,

लेकिन दिखती नहीं बच्चों को,

उस दिन दिखेगी उन्हें, जब वो खुद, बन जाएंगे माँ बाप अपने बच्चों के,

खाने की थाली में दो रोटी के साथ,

परोस दी हैं पत्नी ने दस चिंताएं,

कभी,

तुम्हीं नें बच्चों को सर चढ़ा रखा है,

कुछ कहते ही नहीं,

कभी,

हर वक्त डांटते ही रहते हो बच्चों को,

कभी प्यार से बात भी कर लिया करो,

लड़की सयानी हो रही है,

तुम्हें तो कुछ दिखाई ही नहीं देता,

लड़का हाथ से निकला जा रहा है,

तुम्हें तो कोई फिक्र ही नहीं है,

पड़ोसियों के झगड़े, मुहल्ले की बातें,

शिकवे शिकायतें दुनिया भर की,

सबको पानी के घूंट के साथ,

गले के नीचे उतार लेता है,

जिसने एक बार हलाहल पान किया,

वो सदियों नीलकंठ बन पूजा गया,

यहाँ रोज़ थोड़ा थोड़ा विष पीना पड़ता है,

जिंदा रहने की चाह में,

फिर लेटते ही बिस्तर पर,

मर जाता है एक रात के लिए,

क्योंकि

सुबह फिर जिंदा होना है,

काम पर जाना है,

कमा कर लाना है,

ताकि घर चल सके,
कुछ जीवन बच सके
जो हम न बने
वो बच्चे बन सके...।।
साभार सभी मित्रों का

Monday, October 23, 2017

छठी मैया

छठ मैया कौन-सी देवी हैं? सूर्य के साथ षष्‍ठी देवी की पूजा क्‍यों?

कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि छठ या सूर्यषष्‍ठी व्रत में सूर्य की पूजा की जाती है, तो साथ-साथ छठ मैया की भी पूजा क्‍यों की जाती है? छठ मैया का पुराणों में कोई वर्णन मिलता है क्‍या?

वैसे तो छठ अब केवल बिहार का ही प्रसिद्ध लोकपर्व नहीं रह गया है. इसका फैलाव देश-विदेश के उन सभी भागों में हो गया है, जहां इस प्रदेश के लोग जाकर बस गए हैं. इसके बावजूद बहुत बड़ी आबादी इस व्रत की मौलिक बातों से अनजान है.

आगे इन्‍हीं सवालों से जुड़ी प्रामाणिक जानकारी विस्‍तार से दी गई है.

पुराणों में षष्‍ठी माता का परिचय:

श्‍वेताश्‍वतरोपनिषद् में बताया गया है कि परमात्‍मा ने सृष्‍ट‍ि रचने के लिए स्‍वयं को दो भागों में बांटा. दाहिने भाग से पुरुष, बाएं भाग से प्रकृति का रूप सामने आया.

ब्रह्मवैवर्तपुराण के प्रकृतिखंड में बताया गया है कि सृष्‍ट‍ि की अधिष्‍ठात्री प्रकृति देवी के एक प्रमुख अंश को देवसेना कहा गया है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी का एक प्रचलित नाम षष्‍ठी है. पुराण के अनुसार, ये देवी सभी बालकों की रक्षा करती हैं और उन्‍हें लंबी आयु देती हैं.

''षष्‍ठांशा प्रकृतेर्या च सा च षष्‍ठी प्रकीर्तिता |
बालकाधिष्‍ठातृदेवी विष्‍णुमाया च बालदा ||
आयु:प्रदा च बालानां धात्री रक्षणकारिणी |
सततं शिशुपार्श्‍वस्‍था योगेन सिद्ध‍ियोगिनी'' ||
(ब्रह्मवैवर्तपुराण/प्रकृतिखंड)

षष्‍ठी देवी को ही स्‍थानीय बोली में छठ मैया कहा गया है. षष्‍ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा गया है, जो नि:संतानों को संतान देती हैं और सभी बालकों की रक्षा करती हैं. आज भी देश के बड़े भाग में बच्‍चों के जन्‍म के छठे दिन षष्‍ठी पूजा या छठी पूजा का चलन है.

पुराणों में इन देवी का एक नाम कात्‍यायनी भी है. इनकी पूजा नवरात्र में षष्‍ठी तिथि‍ को होती है.

सूर्य का षष्‍ठी के दिन पूजन का महत्‍व:

हमारे धर्मग्रथों में हर देवी-देवता की पूजा के लिए कुछ विशेष तिथियां बताई गई हैं. उदाहरण के लिए, गणेश की पूजा चतुर्थी को, विष्‍णु की पूजा एकादशी को किए जाने का विधान है. इसी तरह सूर्य की पूजा के साथ सप्‍तमी तिथि‍ जुड़ी है. सूर्य सप्‍तमी, रथ सप्‍तमी जैसे शब्‍दों से यह स्‍पष्‍ट है. लेकिन छठ में सूर्य का षष्‍ठी के दिन पूजन अनोखी बात है.

सूर्यषष्‍ठी व्रत में ब्रह्म और शक्‍त‍ि (प्रकृति और उनके अंश षष्‍ठी देवी), दोनों की पूजा साथ-साथ की जाती है. इसलिए व्रत करने वालों को दोनों की पूजा का फल मिलता है. यही बात इस पूजा को सबसे खास बनाती है.

महिलाओं ने छठ के लोकगीतों में इस पौराणिक परंपरा को जीवित रखा है. दो लाइनें देखिए:

''अन-धन सोनवा लागी पूजी देवलघरवा हे,
पुत्र लागी करीं हम छठी के बरतिया हे '

दोनों की पूजा साथ-साथ किए जाने का उद्देश्‍य लोकगीतों से भी स्‍पष्‍ट है. इसमें व्रती कह रही हैं कि वे अन्‍न-धन, संपत्ति‍ आदि के लिए सूर्य देवता की पूजा कर रही हैं. संतान के लिए ममतामयी छठी माता या षष्‍ठी पूजन कर रही हैं.

इस तरह सूर्य और षष्‍ठी देवी की साथ-साथ पूजा किए जाने की परंपरा और इसके पीछे का कारण साफ हो जाता है. पुराण के विवरण से इसकी प्रामाणिकता भी स्‍पष्‍ट है.

प्रभु मूरत

एक महिला रोज मंदिर जाती थी ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर नही आया करूँगी !

इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ?

तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है ! कुछ पूजा कम पाखंड,दिखावा ज्यादा करते हैं !

इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं !

महिला बोली -आप बताइए क्या करना है ?

पुजारी ने कहा -- एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए । शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये !

महिला बोली -- मैं ऐसा कर सकती हूँ !

फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया !

उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे -
1.क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा !
2.क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा !
3.क्या किसी को पाखंड करते देखा !

महिला बोली -- नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा  !

फिर पुजारी बोले ---  जब आप परिक्रमा लगा रही थीं तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया, अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता परमात्मा में ही लगाना फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा ! सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देगें ... !!

                      !! जाकी रही भावना जैसी ..
                           प्रभु मूरत देखी तिन तैसी !!

Saturday, August 26, 2017

वो क्या था


🙏
एक बेटी ने एक संत से आग्रह किया कि वो घर आकर उसके बीमार पिता से मिलें, प्रार्थना करें...बेटी ने ये भी बताया कि उसके बुजुर्ग पिता पलंग से उठ भी नहीं सकते...

जब संत घर आए तो पिता पलंग पर दो तकियों पर सिर रखकर लेटे हुए थे...
एक खाली कुर्सी पलंग के साथ पड़ी थी...संत ने सोचा कि शायद मेरे आने की वजह से ये कुर्सी यहां पहले से ही रख दी गई...

संत...मुझे लगता है कि आप मेरी ही उम्मीद कर रहे थे...
पिता...नहीं, आप कौन हैं...
संत ने अपना परिचय दिया...और फिर कहा...मुझे ये खाली कुर्सी देखकर लगा कि आप को मेरे आने का आभास था...
पिता...ओह ये बात...खाली कुर्सी...आप...आपको अगर बुरा न लगे तो कृपया कमरे का दरवाज़ा बंद करेंगे...
संत को ये सुनकर थोड़ी हैरत हुई, फिर भी दरवाज़ा बंद कर दिया...

पिता...दरअसल इस खाली कुर्सी का राज़ मैंने किसी को नहीं बताया...अपनी बेटी को भी नहीं...पूरी ज़िंदगी, मैं ये जान नहीं सका कि प्रार्थना कैसे की जाती है...मंदिर जाता था, पुजारी के श्लोक सुनता...वो सिर के ऊपर से गुज़र जाते....कुछ पल्ले नहीं पड़ता था...मैंने फिर प्रार्थना की कोशिश करना छोड़ दिया...लेकिन चार साल पहले मेरा एक दोस्त मिला...उसने मुझे बताया कि प्रार्थना कुछ नहीं भगवान से सीधे संवाद का माध्यम होती है....उसी ने सलाह दी कि एक खाली कुर्सी अपने सामने रखो...फिर विश्वास करो कि वहां भगवान खुद ही विराजमान हैं...अब भगवान से ठीक वैसे ही बात करना शुरू करो, जैसे कि अभी तुम मुझसे कर रहे हो...मैंने ऐसा करके देखा...मुझे बहुत अच्छा लगा...फिर तो मैं रोज़ दो-दो घंटे ऐसा करके देखने लगा...लेकिन ये ध्यान रखता कि मेरी बेटी कभी मुझे ऐसा करते न देख ले...अगर वो देख लेती तो उसका ही नर्वस ब्रेकडाउन हो जाता या वो फिर मुझे साइकाइट्रिस्ट के पास ले जाती...

ये सब सुनकर संत ने बुजुर्ग के लिए प्रार्थना की...सिर पर हाथ रखा और भगवान से बात करने के क्रम को जारी रखने के लिए कहा...संत को उसी दिन दो दिन के लिए शहर से बाहर जाना था...इसलिए विदा लेकर चले गए..

दो दिन बाद बेटी का संत को फोन आया कि उसके पिता की उसी दिन कुछ घंटे बाद मृत्यु हो गई थी, जिस दिन वो आप से मिले थे...
संत ने पूछा कि उन्हें प्राण छोड़ते वक्त कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई...

बेटी ने जवाब दिया...नहीं, मैं जब घर से काम पर जा रही थी तो उन्होंने मुझे बुलाया...मेरा माथा प्यार से चूमा...ये सब करते हुए उनके चेहरे पर ऐसी शांति थी, जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी...जब मैं वापस आई तो वो हमेशा के लिए आंखें मूंद चुके थे...लेकिन मैंने एक अजीब सी चीज़ भी देखी...वो ऐसी मुद्रा में थे जैसे कि खाली कुर्सी पर किसी की गोद में अपना सिर झुकाया हो...संत जी, वो क्या था...

ये सुनकर संत की आंखों से आंसू बह निकले...बड़ी मुश्किल से बोल पाए...काश, मैं भी जब दुनिया से जाऊं तो ऐसे ही जाऊं...
🙏

Saturday, June 17, 2017

मुझे अच्छा लगता है


         एक औरत कब अच्छा महसूस करती है -
मुझे अच्छा लगता है मर्द से मुकाबला ना करना और उस से एक दर्जा कमज़ोर रहना -

मुझे अच्छा लगता है जब कहीं बाहर जाते हुए वह मुझ से कहता है "रुको! मैं तुम्हे ले जाता हूँ या मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ "

मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझ से एक कदम आगे चलता है - गैर महफूज़ और खतरनाक रास्ते पर उसके पीछे पीछे उसके छोड़े हुए क़दमों के निशान पर चलते हुए एहसास होता है उसे मेरा ख्याल खुद से ज्यादा है

मुझे अच्छा लगता है जब गहराई से ऊपर चढ़ते और ऊंचाई से ढलान की तरफ जाते हुए वह मुड़ मुड़ कर मुझे चढ़ने और उतरने में मदद देने के लिए बार बार अपना हाथ बढ़ाता है -

मुझे अच्छा लगता है जब किसी सफर पर जाते और वापस आते हुए सामान का सारा बोझ वह अपने दोनों कंधों और सर पर बिना हिचक  किये खुद ही बढ़ कर उठा लेता है - और अक्सर वज़नी चीजों को दूसरी जगह रखते  वक़्त उसका यह कहना कि "तुम छोड़ दो यह मेरा काम है"-

मुझे अच्छा लगता है जब वह मेरी वजह से सर्द मौसम में सवारी गाड़ी का इंतज़ार करने के लिए खुद स्टेशन पे खड़ा रहता है -

मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझे ज़रूरत की हर चीज़ घर पर ही मुहैय्या कर देता है ताकि मुझे घर की जिम्मेदारियों के साथ साथ बाहर जाने की दिक़्क़त ना उठानी पड़े और लोगों के नामुनासिब रावैय्यों का सामना ना करना पड़े

मुझे बहुत अच्छा लगता है जब रात की खनकी में मेरे साथ आसमान पर तारे गिनते हुए वह मुझे ठंड लग जाने के डर से अपना कोट उतार कर मेरे कन्धों पर डाल देता है -

मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझे मेरे सारे गम आंसुओं में बहाने के लिए अपना मज़बूत कंधा पेश करता है और हर कदम पर अपने साथ होने का यकीन दिलाता है -

मुझे अच्छा लगता है जब वह खराब हालात में मुझे अपनी जिम्मेदारी मान कर सहारा देने के लिए मेरे आगे ढाल की तरह खड़ा हो जाता है और कहता है " डरो मत मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा" -
मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझे गैर नज़रों से महफूज़ रहने के लिए समझाया करता है और अपना हक जताते हुए कहता है कि "तुम सिर्फ मेरी हो " -

लेकिन अफसोस हम में से अक्सर लड़कियां इन तमाम खुशगवार अहसास को महज मर्द से बराबरी का मुकाबला करने की वजह से खो देती हैं
फिर ۔۔۔۔۔۔۔۔
जब मर्द यह मान लेता है कि औरत उस से कम नहीं तब वह उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाना छोड़ देता है - तब ऐसे खूबसूरत लम्हात एक एक करके ज़िन्दगी से कम होते चले जाते हैं , और फिर ज़िन्दगी बे रंग और बेमतलब  हो कर अपनी खुशिया खो देती है

मुक़ाबले की, आधुनिकता की इस दौड़ से निकल कर अपनी ज़िंदगी के ऐसे हसीन लम्हो का अहसास कर लीजिए .. .. ..

Friday, June 16, 2017

Phone

*फोन जब तक वायर से बंधा था...!* ☎
*इंसान आजाद था...*

*जब से फोन आजाद हुआ है...* 📱
*इंसान फोन से बंध गया है...*     🙏🏻

भाई सा कोई सगा नहीं

सोचो कितना बवाल होता

समंदर सारे शराब होते तो सोचो कितना बवाल होता,
हक़ीक़त सारे ख़्वाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!

किसी के दिल में क्या छुपा है ये बस ख़ुदा ही जानता है,
दिल अगर बेनक़ाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!

थी ख़ामोशी हमारी फितरत में तभी तो बरसो निभ गयी लोगो से,
अगर मुँह में हमारे जवाब होते तो सोचो कितना बवाल होता..!!

हम तो अच्छे थे पर लोगो की नज़र में सदा बुरे ही रहे,
कहीं हम सच में ख़राब होते तो सोचो कितना बवाल होता..
😊😊👍☝👌👌👌

Thursday, June 15, 2017

बेटे भी घर छोड़ जाते हैं

"हर उस बेटे को समर्पित जो घर से दूर है"
💖💖👇👇👇👇💖💖
**बेटे भी घर छोड़ जाते हैं**
_
जो तकिये के बिना कहीं...भी सोने से कतराते थे...
आकर कोई देखे तो वो...कहीं भी अब सो जाते हैं...
खाने में सो नखरे वाले...अब कुछ भी खा लेते हैं...
अपने रूम में किसी को...भी नहीं आने देने वाले...
अब एक बिस्तर पर सबके...साथ एडजस्ट हो जाते हैं...
बेटे भी घर छोड़ जाते हैं। 😪
.
घर को मिस करते हैं लेकिन...कहते हैं 'बिल्कुल ठीक हूँ'...
सौ-सौ ख्वाहिश रखने वाले...अब कहते हैं 'कुछ नहीं चाहिए'...
पैसे कमाने की जरूरत में...वो घर से अजनबी बन जाते हैं
लड़के भी घर छोड़ जाते हैं। 😏
.
बना बनाया खाने वाले अब वो खाना खुद बनाते है,
माँ-बहन-बीवी का बनाया अब वो कहाँ खा पाते है।
कभी थके-हारे भूखे भी सो जाते हैं।
लड़के भी घर छोड़ जाते है। 😘😪
.
मोहल्ले की गलियां, जाने-पहचाने रास्ते,
जहाँ दौड़ा करते थे अपनों के वास्ते,
माँ बाप यार दोस्त सब पीछे छूट जाते हैं
तन्हाई में करके याद, लड़के भी आँसू बहाते है।
लड़के भी घर छोड़ जाते हैं। ☺
.
नई नवेली दुल्हन, जान से प्यारे बहन-भाई,
छोटे-छोटे बच्चे, चाचा-चाची, ताऊ-ताई ,
सब छुड़ा देती है साहब, ये रोटी और कमाई।
मत पूछो इनका दर्द वो कैसे छुपाते हैं,
बेटियाँ ही नही साहब, बेटे भी घर छोड़ जाते हैं। 😪😏

Monday, June 5, 2017

विभिन्न संस्थाओं के संस्कृत ध्येय वाक्य

भारत सरकार👉  सत्यमेव जयते
लोक सभा👉 धर्मचक्र प्रवर्तनाय
उच्चतम न्यायालय👉  यतो धर्मस्ततो जयः
आल इंडिया रेडियो👉 सर्वजन हिताय सर्वजनसुखाय

दूरदर्शन👉  सत्यं शिवम् सुन्दरम
गोवा राज्य👉  सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्।
भारतीय जीवन बीमा निगम👉 योगक्षेमं वहाम्यहम्
डाक तार विभाग👉  अहर्निशं सेवामहे
श्रम मंत्रालय👉  श्रम एव जयते
भारतीय सांख्यिकी संस्थान👉 भिन्नेष्वेकस्य दर्शनम्
थल सेना👉  सेवा अस्माकं धर्मः
वायु सेना👉 नभःस्पृशं दीप्तम्
जल सेना👉 शं नो वरुणः
मुंबई पुलिस👉  सद्रक्षणाय खलनिग्रहणाय
हिंदी अकादमी👉  अहम् राष्ट्री संगमनी वसूनाम
भारतीय राष्ट्रीय विज्ञानं अकादमी👉 हव्याभिर्भगः सवितुर्वरेण्यं
भारतीय प्रशासनिक सेवा अकादमी👉 योगः कर्मसु कौशलं
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग👉  ज्ञान-विज्ञानं विमुक्तये
नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन👉 गुरुः गुरुतामो धामः
गुरुकुल काङ्गडी विश्वविद्यालय👉  ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपाघ्नत
इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय👉 ज्योतिर्व्रणीततमसो विजानन
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय:👉  विद्ययाऽमृतमश्नुते
आन्ध्र विश्वविद्यालय👉  तेजस्विनावधीतमस्तु
बंगाल अभियांत्रिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय,
शिवपुर👉 उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत
गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय👉 आनो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः
संपूणानंद संस्कृत विश्वविद्यालय👉 श्रुतं मे गोपय
श्री वैंकटेश्वर विश्वविद्यालय👉 ज्ञानं सम्यग् वेक्षणम्
कालीकट विश्वविद्यालय👉 निर्मय कर्मणा श्री
दिल्ली विश्वविद्यालय👉 निष्ठा धृति: सत्यम्
केरल विश्वविद्यालय👉 कर्मणि व्यज्यते प्रज्ञा
राजस्थान विश्वविद्यालय👉 धर्मो विश्वस्यजगतः प्रतिष्ठा
पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय👉  युक्तिहीने विचारे तु धर्महानि: प्रजायते
वनस्थली विद्यापीठ👉  सा विद्या या विमुक्तये।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्👉
विद्याsमृतमश्नुते।
केन्द्रीय विद्यालय👉 तत् त्वं पूषन् अपावृणु
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड👉  असतो मा सद् गमय
प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, त्रिवेन्द्रम👉 कर्मज्यायो हि अकर्मण:
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर👉 धियो यो नः प्रचोदयात्
गोविंद बल्लभ पंत अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पौड़ी👉 तमसो मा ज्योतिर्गमय
मदनमोहन मालवीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय गोरखपुर👉 योगः कर्मसु कौशलम्
भारतीय प्रशासनिक कर्मचारी महाविद्यालय, हैदराबाद👉 संगच्छध्वं संवदध्वम्
इंडिया विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय विधि विद्यालय👉 धर्मो रक्षति रक्षितः
संत स्टीफन महाविद्यालय, दिल्ली👉 सत्यमेव विजयते नानृतम्
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान👉  शरीरमाद्यं खलुधर्मसाधनम्
विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, नागपुर👉 योग: कर्मसु कौशलम्
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान,इलाहाबाद👉 सिद्धिर्भवति कर्मजा
बिरला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी👉  ज्ञानं परमं बलम्
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर👉  योगः कर्मसुकौशलम्
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई👉  ज्ञानं परमं ध्येयम्
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर👉 तमसो मा ज्योतिर्गमय
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई👉 सिद्धिर्भवति कर्मजा
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की👉 श्रमं विना नकिमपि साध्यम्
भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद👉 विद्या विनियोगाद्विकास:
भारतीय प्रबंधन संस्थान बंगलौर👉 तेजस्वि नावधीतमस्तु
भारतीय प्रबंधन संस्थान कोझीकोड👉  योगः कर्मसु कौशलम्
सेना ई एम ई कोर👉 कर्मह हि धर्मह
सेना राजपूताना राजफल👉 वीर भोग्या वसुन्धरा
सेना मेडिकल कोर👉 सर्वे संतु निरामया ..
सेना शिक्षा कोर👉  विदैव बलम
सेना एयर डिफेन्स👉 आकाशेय शत्रुन जहि
सेना ग्रेनेडियर रेजिमेन्ट.👉  सर्वदा शक्तिशालिं
सेना राजपूत बटालियन👉 सर्वत्र विजये
सेना डोगरा रेजिमेन्ट👉  कर्तव्यम अन्वात्मा
सेना गढवाल रायफल👉 युद्धया कृत निश्चया
सेना कुमायू रेजिमेन्ट👉  पराक्रमो विजयते
सेना महार रेजिमेन्ट👉  यश सिद्धि
सेना जम्मू काश्मीर रायफल👉  प्रस्थ रणवीरता
सेना कश्मीर लाइट इंफैन्ट्री👉  बलिदानं वीर लक्षयं
सेना इंजीनियर रेजिमेन्ट👉  सर्वत्र
भारतीय तट रक्षक-वयम् रक्षामः
सैन्य विद्यालय👉  युद्धं प्र्गायय
सैन्य अनुसंधान केंद्र👉 बालस्य मूलं विज्ञानम
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सिलसिला यहिं खतम नही होता,
विदेशी भी हमारे कायल हैं देखो जरा
नेपाल सरकार👉 जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी
इंडोनेशिया-जलसेना 👉 जलेष्वेव जयामहेअसेह राज्य (इंडोनेशिया) -
पञ्चचित
कोलंबो विश्वविद्यालय- (श्रीलंका)👉  बुद्धि: सर्वत्र भ्राजते
मोराटुवा विश्वविद्यालय (श्रीलंका)👉  विद्यैव सर्वधनम्
पेरादेनिया विश्वविद्यालय👉  सर्वस्य लोचनशास्त्रम्
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संस्कृत और संस्कृति ही भारतीयता का मूल है .. भारत का विकास इसी से संभव
है-

भारत माता की जय..

जयहिंद..
            🙏🏻   🇮🇳  🙏🏻