Wednesday, September 21, 2016

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Bethany Warren
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Tuesday, September 20, 2016

पापा क्युं तिरंगे ओढ़ कर आये हैं

शहीद जवान के बच्चे की       दिल छू गई कविता                                    ओढ़ के तिरंगा क्यों पापा आये है?

माँ मेरा मन बात ये समझ ना पाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

पहले पापा मुन्ना मुन्ना कहते आते थे,

टॉफियाँ खिलोने साथ में भी लाते थे।

गोदी में उठा के खूब खिलखिलाते थे,

हाथ फेर सर पे प्यार भी जताते थे।

पर ना जाने आज क्यूँ वो चुप हो गए,

लगता है की खूब गहरी नींद सो गए।

नींद से पापा उठो मुन्ना बुलाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

फौजी अंकलों की भीड़ घर क्यूँ आई है,

पापा का सामान साथ में क्यूँ लाई है।

साथ में क्यूँ लाई है वो मेडलों के हार ,

आंख में आंसू क्यूँ सबके आते बार बार।

चाचा मामा दादा दादी चीखते है क्यूँ,

माँ मेरी बता वो सर को पीटते है क्यूँ।

गाँव क्यूँ शहीद पापा को बताये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

माँ तू क्यों है इतना रोती ये बता मुझे,

होश क्यूँ हर पल है खोती ये बता मुझे।

माथे का सिन्दूर क्यूँ है दादी पोछती,

लाल चूड़ी हाथ में क्यूँ बुआ तोडती।

काले मोतियों की माला क्यूँ उतारी है,

क्या तुझे माँ हो गया समझना भारी है।

माँ तेरा ये रूप मुझे ना सुहाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

पापा कहाँ है जा रहे अब ये बताओ माँ,

चुपचाप से आंसू बहा के यूँ सताओ ना।

क्यूँ उनको सब उठा रहे हाथो को बांधकर,

जय हिन्द बोलते है क्यूँ कन्धों पे लादकर।

दादी खड़ी है क्यूँ भला आँचल को भींचकर,

आंसू क्यूँ बहे जा रहे है आँख मींचकर।

पापा की राह में क्यूँ फूल ये सजाये है,

ओढ़ के तिरंगे को क्यूँ पापा आये है।

क्यूँ लकड़ियों के बीच में पापा लिटाये है,

सब कह रहे है लेने उनको राम आये है।

पापा ये दादा कह रहे तुमको जलाऊँ मैं,

बोलो भला इस आग को कैसे लगाऊं मैं।

इस आग में समा के साथ छोड़ जाओगे,

आँखों में आंसू होंगे बहुत याद आओगे।

अब आया समझ माँ ने क्यूँ आँसू बहाये थे,

ओढ़ के तिरंगा पापा घर क्यूँ आये थे ।

रचनाकार : unknown and shared on whatsapp

Thursday, September 15, 2016

I'm happy

खुश हूं 😊

"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं
"काम में खुश हूं," आराम में खुश हू  😊

"आज पनीर नहीं," आलू में ही खुश हूं
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं  😊

" अगर किसी का साथ नहीं," तो अकेला ही खुश हूं
"आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं  😊

"जिस को देख नहीं सकता,"   उसकी आवाज से ही खुश हूं "जिसको पा नहीं सकता,"..  . उसको सोच कर ही खुश हूं  😊

"बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूं "आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं  😊

"हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूं "जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं  😊

Power of positive thought

*POWER OF POSITIVE THOUGHT*

एक व्यक्ति काफी दिनों से चिंतित चल रहा था जिसके कारण वह काफी चिड़चिड़ा तथा तनाव में रहने लगा था। वह इस बात से परेशान था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के ऊपर है, किसी ना किसी रिश्तेदार का उसके यहाँ आना जाना लगा ही रहता है, उसे बहुत ज्यादा INCOME TAX देना पड़ता है आदि - आदि।

इन्ही बातों को सोच सोच कर वह काफी परेशान रहता था तथा बच्चों को अक्सर डांट देता था तथा अपनी पत्नी से भी ज्यादातर उसका किसी न किसी बात पर झगड़ा चलता रहता था।

एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और बोला पिताजी मेरा स्कूल का होमवर्क करा दीजिये, वह व्यक्ति पहले से ही तनाव में था तो उसने बेटे को डांट कर भगा दिया लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसका गुस्सा शांत हुआ तो वह बेटे के पास गया तो देखा कि बेटा सोया हुआ है और उसके हाथ में उसके होमवर्क की कॉपी है। उसने कॉपी लेकर देखी और जैसे ही उसने कॉपी नीचे रखनी चाही, उसकी नजर होमवर्क के टाइटल पर पड़ी।

होमवर्क का टाइटल था ••• वे चीजें जो हमें शुरू में अच्छी नहीं लगतीं लेकिन बाद में वे अच्छी ही होती हैं।

इस टाइटल पर बच्चे को एक पैराग्राफ लिखना था जो उसने लिख लिया था। उत्सुकतावश उसने बच्चे का लिखा पढना शुरू किया बच्चे ने लिखा था •••

● मैं अपने फाइनल एग्जाम को बहुंत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये बिलकुल अच्छे नहीं लगते लेकिन इनके बाद स्कूल की छुट्टियाँ पड़ जाती हैं।

● मैं ख़राब स्वाद वाली कड़वी दवाइयों को बहुत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये कड़वी लगती हैं लेकिन ये मुझे बीमारी से ठीक करती हैं।

● मैं सुबह - सुबह जगाने वाली उस अलार्म घड़ी को बहुत धन्यवाद् देता हूँ जो मुझे हर सुबह बताती है कि मैं जीवित हूँ।

● मैं ईश्वर को भी बहुत धन्यवाद देता हूँ जिसने मुझे इतने अच्छे पिता दिए क्योंकि उनकी डांट मुझे शुरू में तो बहुत बुरी लगती है लेकिन वो मेरे लिए खिलौने लाते हैं, मुझे घुमाने ले जाते हैं और मुझे अच्छी अच्छी चीजें खिलाते हैं और मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास पिता हैं क्योंकि मेरे दोस्त सोहन के तो पिता ही नहीं हैं।

बच्चे का होमवर्क पढने के बाद वह व्यक्ति जैसे अचानक नींद से जाग गया हो। उसकी सोच बदल सी गयी। बच्चे की लिखी बातें उसके दिमाग में बार बार घूम रही थी। खासकर वह last वाली लाइन। उसकी नींद उड़ गयी थी। फिर वह व्यक्ति थोडा शांत होकर बैठा और उसने अपनी परेशानियों के बारे में सोचना शुरू किया।

●● मुझे घर के सारे खर्चे उठाने पड़ते हैं, इसका मतलब है कि मेरे पास घर है और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से बेहतर स्थिति में हूँ जिनके पास घर नहीं है।

●● मुझे पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है, इसका मतलब है कि मेरा परिवार है, बीवी बच्चे हैं और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से ज्यादा खुशनसीब हूँ जिनके पास परिवार नहीं हैं और वो दुनियाँ में बिल्कुल अकेले हैं।

●● मेरे यहाँ कोई ना कोई मित्र या रिश्तेदार आता जाता रहता है, इसका मतलब है कि मेरी एक सामाजिक हैसियत है और मेरे पास मेरे सुख दुःख में साथ देने वाले लोग हैं।

●● मैं बहुत ज्यादा INCOME TAX भरता हूँ, इसका मतलब है कि मेरे पास अच्छी नौकरी/व्यापार है और मैं उन लोगों से बेहतर हूँ जो बेरोजगार हैं या पैसों की वजह से बहुत सी चीजों और सुविधाओं से वंचित हैं।

*हे ! मेरे भगवान् ! तेरा बहुंत बहुंत शुक्रिया ••• मुझे माफ़ करना, मैं तेरी कृपा को पहचान नहीं पाया।*

_इसके बाद उसकी सोच एकदम से बदल गयी, उसकी सारी परेशानी, सारी चिंता एक दम से जैसे ख़त्म हो गयी। वह एकदम से बदल सा गया। वह भागकर अपने बेटे के पास गया और सोते हुए बेटे को गोद में उठाकर उसके माथे को चूमने लगा और अपने बेटे को तथा ईश्वर को धन्यवाद देने लगा।_

*हमारे सामने जो भी परेशानियाँ हैं, हम जब तक उनको नकारात्मक नज़रिये से देखते रहेंगे तब तक हम परेशानियों से घिरे रहेंगे लेकिन जैसे ही हम उन्हीं चीजों को, उन्ही परिस्तिथियों को सकारात्मक नज़रिये से देखेंगे, हमारी सोच एकदम से बदल जाएगी, हमारी सारी चिंताएं, सारी परेशानियाँ, सारे तनाव एक दम से ख़त्म हो जायेंगे और हमें मुश्किलों से निकलने के नए - नए रास्ते दिखाई देने लगेंगे।*

Be cool

एक राजा का दरबार लगा हुआ था,
क्योंकि सर्दी का दिन था इसलिये
राजा का दरवार खुले मे लगा हुआ था.
पूरी आम सभा सुबह की धूप मे बैठी थी ..
महाराज के सिंहासन के सामने...
एक शाही मेज थी...
और उस पर कुछ कीमती चीजें रखी थीं.
पंडित लोग, मंत्री और दीवान आदि
सभी दरबार मे बैठे थे
और राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे.. ..

उसी समय एक व्यक्ति आया और प्रवेश माँगा..
प्रवेश मिल गया तो उसने कहा
“मेरे पास दो वस्तुएं हैं,
मै हर राज्य के राजा के पास जाता हूँ और
अपनी वस्तुओं को रखता हूँ पर कोई परख नही पाता सब हार जाते है
और मै विजेता बनकर घूम रहा हूँ”..
अब आपके नगर मे आया हूँ

राजा ने बुलाया और कहा “क्या वस्तु है”
तो उसने दोनो वस्तुएं....
उस कीमती मेज पर रख दीं..

वे दोनों वस्तुएं बिल्कुल समान
आकार, समान रुप रंग, समान
प्रकाश सब कुछ नख-शिख समान था.. … ..

राजा ने कहा ये दोनो वस्तुएं तो एक हैं.
तो उस व्यक्ति ने कहा हाँ दिखाई तो
एक सी ही देती है लेकिन हैं भिन्न.

इनमें से एक है बहुत कीमती हीरा
और एक है काँच का टुकडा।

लेकिन रूप रंग सब एक है.
कोई आज तक परख नही पाया क़ि
कौन सा हीरा है और कौन सा काँच का टुकड़ा..

कोइ परख कर बताये की....
ये हीरा है और ये काँच..
अगर परख खरी निकली...
तो मैं हार जाऊंगा और..
यह कीमती हीरा मै आपके राज्य की तिजोरी मे जमा करवा दूंगा.

पर शर्त यह है क़ि यदि कोई नहीं
पहचान पाया तो इस हीरे की जो
कीमत है उतनी धनराशि आपको
मुझे देनी होगी..

इसी प्रकार से मैं कई राज्यों से...
जीतता आया हूँ..

राजा ने कहा मै तो नही परख सकूगा..
दीवान बोले हम भी हिम्मत नही कर सकते
क्योंकि दोनो बिल्कुल समान है..
सब हारे कोई हिम्मत नही जुटा पा रहा था.. ..

हारने पर पैसे देने पडेगे...
इसका कोई सवाल नही था,
क्योंकि राजा के पास बहुत धन था,
पर राजा की प्रतिष्ठा गिर जायेगी,
इसका सबको भय था..

कोई व्यक्ति पहचान नही पाया.. ..
आखिरकार पीछे थोडी हलचल हुई
एक अंधा आदमी हाथ मे लाठी लेकर उठा..
उसने कहा मुझे महाराज के पास ले चलो...
मैने सब बाते सुनी है...
और यह भी सुना है कि....
कोई परख नही पा रहा है...
एक अवसर मुझे भी दो.. ..

एक आदमी के सहारे....
वह राजा के पास पहुंचा..
उसने राजा से प्रार्थना की...
मै तो जनम से अंधा हू....
फिर भी मुझे एक अवसर दिया जाये..
जिससे मै भी एक बार अपनी बुद्धि को परखूँ..
और हो सकता है कि सफल भी हो जाऊं..

और यदि सफल न भी हुआ...
तो वैसे भी आप तो हारे ही है..

राजा को लगा कि.....
इसे अवसर देने मे क्या हर्ज है...
राजा ने कहा क़ि ठीक है..
तो तब उस अंधे आदमी को...
दोनो चीजे छुआ दी गयी..

और पूछा गया.....
इसमे कौन सा हीरा है....
और कौन सा काँच….?? ..
यही तुम्हें परखना है.. ..

कथा कहती है कि....
उस आदमी ने एक क्षण मे कह दिया कि यह हीरा है और यह काँच.. ..

जो आदमी इतने राज्यो को जीतकर आया था
वह नतमस्तक हो गया..
और बोला....
“सही है आपने पहचान लिया.. धन्य हो आप…
अपने वचन के मुताबिक.....
यह हीरा.....
मै आपके राज्य की तिजोरी मे दे रहा हूँ ” ..

सब बहुत खुश हो गये
और जो आदमी आया था वह भी
बहुत प्रसन्न हुआ कि कम से कम
कोई तो मिला परखने वाला..

उस आदमी, राजा और अन्य सभी
लोगो ने उस अंधे व्यक्ति से एक ही
जिज्ञासा जताई कि तुमने यह कैसे
पहचाना कि यह हीरा है और वह काँच.. ..

उस अंधे ने कहा की सीधी सी बात है मालिक
धूप मे हम सब बैठे है.. मैने दोनो को छुआ ..
जो ठंडा रहा वह हीरा.....
जो गरम हो गया वह काँच.....

जीवन मे भी देखना.....

जो बात बात मे गरम हो जाये, उलझ जाये...
वह व्यक्ति "काँच" हैं

और

जो विपरीत परिस्थिति मे भी ठंडा रहे.....
वह व्यक्ति "हीरा" है..!!...✍

--
जिसने भी लिखा, संदेश अनुकरणीय है। इसे जीवन में अपनाएं।
👍👍एक बार अवश्य पढियेगा👍👍🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳टाइम मिले तो औरो को भी भेजना जी👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻😊😊😊

Hindi Muhavre

बड़े बावरे हिन्दी के मुहावरे::
          
हिंदी के मुहावरे,बड़े ही बावरे हैं,
खाने-पीने की चीजों से भरे हैं....
कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें हैं ,
कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले हैं ,
फलों की ही बात ले लो....

आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं,
कभी अंगूर खट्टे हैं,
कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं,
कहीं दाल में काला है,
तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती।

कोई डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाता है,
तो कोई लोहे के चने चबाता है,
कोई घर बैठा रोटियाँ तोड़ता है,
कोई दाल-भात में मूसरचंद बन जाता है।
मुफलिसी में जब आटा गीला होता है ,
तो आटे-दाल का भाव मालूम पड़ जाता है।

सफलता के लिए बेलने पड़ते हैं कई पापड़,
आटे में नमक तो जाता है चल,
पर गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है,
अपना हाल तो बेहाल है, ये मूँग और मसूर की दाल है।

गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं,
और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं,
कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है,
कभी ऊँट के मुँह में जीरा है ,
कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है।
किसी के दाँत दूध के हैं ,
तो कई दूध के धुले हैं।

कोई जामुन के रंग सी चमड़ी पा के रोई है,
तो किसी की चमड़ी जैसे मैदे की लोई है,
किसी को छठी का दूध याद आ जाता है ,
दूध का जला छाछ को भी फूँक-फूँक पीता है ,
और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है ।

शादी के बुरे लड्डू हैं , जिसने खाए वो भी पछताए,
और जिसने नहीं खाए, वो भी पछताते हैं,
पर शादी की बात सुन, मन में लड्डू फूटते हैं ,
और शादी के बाद, दोनों हाथों में लड्डू आते हैं।

कोई जलेबी की तरह सीधा है, कोई टेढ़ी खीर है,
किसी के मुँह में घी-शक्कर है,
सबकी अपनी-अपनी तकदीर है...
कभी कोई चाय-पानी करवाता है,
कोई मक्खन लगाता है
और जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है ,
तो सभी के मुँह में पानी आता है,

भाई साहब अब कुछ भी हो ,
घी तो खिचड़ी में ही जाता है,
जितने मुँह है, उतनी बातें हैं,
सब अपनी-अपनी बीन बजाते हैं,
पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है??
सभी बहरे हैं, बावरें हैं
ये सब हिंदी के मुहावरे हैं ...॥

कैसे चुकायें जीवन के पाँच ऋण

मनुष्य को पांच ऋण चुकाने होते हैं:-
1. माता का ऋण_
2. पिता का ऋण_
3. गुरु का ऋण_
4. घरती का ऋण_
5. धर्म का ऋण_
इन ऋणो को चुकाने के निम्न उपाय कहे गए हैं
1. माता का ऋण चुकाने के लिये कन्या दान करना चाहिए।
2.पिता का ऋण चुकाने के लिए संतान उत्पति करनी चाहिए।_
3. गुरु ऋण चुकाने के लिए लोगों को शिक्षित करना चाहिए।_
4. घरती का ऋण चुकाने के लिए कृषि करें या पेड लगाएं।_
5. धर्म का ऋण चुकाने के लिये धर्म की रक्षा व धर्म का प्रचार के लिए समय दें।
"मन" का झुकना बहुत ज़रूरी है...
केवल सर झुकाने से भगवान नहीं मिलते..

Akbar and Birbal


अकबर और बीरबल शाम को पैदल ही हवाखोरी के लिये चले जा रहे थे। चलते-चलते बीरबल ने एक पौधे के सामने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया।अकबर ने पूछा कि "बीरबल तुमने इस पौधे को प्रणाम क्यों किया"।
बीरबल ने उत्तर दिया "हुजूर, हम हिन्दू इसे तुलसी माता कहते हैं। यह बहुत ही परमपवित्र, पूजनीय और गुणकारी है।
अकबर ने आव देखा, ना ताव और तुलसी मैंया को उखाड़ फेंका तथा बीरबल का मजाक बनाते हुये कहा कि -"लो बीरबल! मैंनें तुम्हारी माँ को उखाड़ कर फेंक दिया। अब कहो।"
बीरबल चुपचाप आगे बढ लिये। घूमते-घूमते दोनों बस्ती से दूर काफी आगे खेतों की ओर निकल आये। तुलसी को तो मात्र हाथ जोड़ कर प्रणाम ही किया था, लेकिन खेतों में एक बड़े से पौधे को देख कर बीरबल ने कुछ दूरी से ही दण्डवत् प्रणाम किया और चलने का उपक्रम किया। (इस पौधे को छूने और शरीर के किसी भी अंग पर लगाने से बुरी तरह से खुजली शुरू हो जाती है)।
अकबर ने पहले की भांति सोचकर उस पौधे को भी तुलसी की तरह उखाड़ना चाहा लेकिन जड़े गहराई तक होने के कारण उखाड़ नहीं पाये।
अब अकबर ने उस पौधे से लिपट कर और खूब जोर लगा कर उखाड़ फेंका तथा एक विजयी मुस्कान बीरबल की तरफ फेंकी। बदले में बीरबल ने भी एक व्यंग्यात्मक मुस्कान के साथ अकबर की ओर देखा और वापस लौट चलें।
अब अकबर को खुजली होनी शुरू हुई और शरीर में जहां-जहां भी हाथ लगाये, भयंकर खुजली शुरू हो जाये। परेशान होकर बीरबल से कहा - "ये तुम्हारी दूसरी माँ कौन थी और कैसी है?"
बीरबल ने उत्तर दिया: "हुजूर हमारी तुलसी मैंया तो बड़ी सीधी-सादी व सरल है। वो तो किसी को कुछ नही कहती। उसका कोई बुरा भी करें तो भी वो उसका भला ही करती हैं, लेकिन ये तो तो हमारा बाप है। बहुत ही कड़ियल और जिद्दी है, ये बदला लिये बगैर कभी नहीं छोड़ता"।
अकबर ने परेशान होकर कहा: "अपने इस बाप से मेरा पीछा छुड़वाओं। मैं तौबा करता हूॅ कि हिन्दुओं के माँ-बाप से कभी पंगा नहीं लूंगा"।
बीरबल ने कहा - "हुजूर! हम हिन्दुओं की एक माता और है, गौमाता। वो आपको इस मुसीबत से छुटकारा दिला सकती है।" अकबर ने कहा- "जल्दी करो, जो कुछ करना है करो, मगर अपने इस बाप से मेरा पिंड छुड़वाओ।
बीरबल ने बताया - "बादशाह सलामत आपको अपने पूरे बदन पर गऊमाता का गोबर लगाकर कई प्रहर तक बैठना होगा, तभी आपको राहत मिल सकती है, अन्यथा दूसरा कोई उपाय नही है"।
अकबर ने अपने पूरे शरीर पर गोबर पुतवाया और कई घण्टे की यातना के बाद कष्ट से मुक्ति पाई। सनातन धर्म के सभी रीति-रिवाज और जीवन शैली पूरी तरह से विज्ञान पर आधारित है, जिसे आधुनिक विज्ञान एवं शोध एक-एक करके प्रमाणित करते जा रहे हैं।
सनातन धर्म की जय हो। विश्व का कल्याण हो।
🚩जय माताजी जय श्री राम🚩

Excuse vs. Success

*बहाने (Excuses) बनाम (Vs) सफलता (Success)* अवश्य पढ़े प्रेरणादायक (Must Read! Very Motivational)

बहाना 1 :- मेरे पास *धन नही....*
जवाब :- इन्फोसिस के पूर्व चेयरमैन *नारायणमूर्ति* के पास भी *धन नही था,* उन्होंने अपनी *पत्नी के गहने बेचने पड़े.....*

बहाना 2 :- मुझे *बचपन से परिवार की जिम्मेदारी उठानी पङी.....*
जवाब :- *लता मंगेशकर* को भी *बचपन से परिवार की जिम्मेदारी उठानी पङी थी....*

बहाना 3 :- मैं *अत्यंत गरीब घर से हूँ....*
जवाब :- पूर्व राष्ट्रपति *अब्दुल कलाम भी गरीब घर से थे....*

बहाना 4 :- बचपन में ही मेरे *पिता का देहाँत हो गया था....*
जवाब :- प्रख्यात संगीतकार *ए.आर.रहमान के पिता का भी देहांत बचपन में हो गया था....*

बहाना 5 :- मुझे *उचित शिक्षा लेने का अवसर नही मिला....*
जवाब :- *उचित शिक्षा का अवसर फोर्ड मोटर्स के मालिक हेनरी फोर्ड को भी नही मिला....*

बहाना 6 :- मेरी *उम्र बहुत ज्यादा है....*
जवाब :- *विश्व प्रसिद्ध केंटुकी फ्राइड चिकेन के मालिक ने 60 साल की उम्र मे पहला रेस्तरा खोला था....*

बहाना 7 :- मेरी *लंबाई बहुत कम है....*
जवाब :- *सचिन तेंदुलकर की भी लंबाई कम है....*

बहाना 8 :- *बचपन से ही अस्वस्थ था....*
जवाब :- *आँस्कर विजेता अभिनेत्री मरली मेटलिन भी बचपन से बहरी व अस्वस्थ थी....*

बहाना 9 :- मैं *इतनी बार हार चूका, अब हिम्मत नहीं...*
जवाब :- *अब्राहम लिंकन 15 बार चुनाव हारने के बाद राष्ट्रपति बने....*

बहाना 10 :- *एक दुर्घटना मे अपाहिज होने के बाद मेरी हिम्मत चली गयी.....*
जवाब :- *प्रख्यात नृत्यांगना सुधा चन्द्रन के पैर नकली है....*

बहाना 11 :- मुझे *ढ़ेरों बीमारियां है.....*
जवाब :- *वर्जिन एयरलाइंस के प्रमुख भी अनेको बीमारियो थी, राष्ट्रपति रुजवेल्ट के दोनो पैर काम नही करते थे.....*

बहाना 12 :- मैंने *साइकिल पर घूमकर आधी ज़िंदगी गुजारी है....*
जवाब :- *निरमा के करसन भाई पटेल ने भी साइकिल पर निरमा बेचकर आधी ज़िंदगी गुजारी....*

बहाना 13 :- मुझे *बचपन से मंद बुद्धि कहा जाता है....*
जवाब :- *थामस अल्वा एडीसन को भी बचपन से मंदबुद्धि कहा जाता था....*

बहाना 14 :- मैं *एक छोटी सी नौकरी करता हूँ, इससे क्या होगा....*
जवाब :- *धीरु अंबानी भी छोटी नौकरी करते थे....*

बहाना 15 :- मेरी *कम्पनी एक बार दिवालिया हो चुकी है, अब मुझ पर कौन भरोसा करेगा....*
जवाब :- *दुनिया की सबसे बड़ी शीतल पेय निर्माता पेप्सी कोला भी दो बार दिवालिया हो चुकी है....*

बहाना 16 :- मेरा *दो बार नर्वस ब्रेकडाउन हो चुका है, अब क्या कर पाउँगा....*
जवाब :- *डिज्नीलैंड बनाने के पहले वाल्ट डिज्नी का तीन बार नर्वस ब्रेकडाउन हुआ था.....*

बहाना 17 :- मेरे पास *बहुमूल्य आइडिया है पर लोग अस्वीकार कर देते है...*
जवाब :- *जेराँक्स फोटो कॉपी मशीन के आईडिया को भी ढेरो कंपनियो ने अस्वीकार किया था, लेकिन आज परिणाम सबके सामने है.....*

*सीख:-* आज आप जहाँ भी है या कल जहाँ भी होंगे इसके लिए आप किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते, इसलिए आज चुनाव कीजिए, *सफलता और सपने चाहिए या खोखले बहाने???*

आपका आने वाला   कल Mubarak ho.....

Good thought

बहुत अच्छे विचार
जरुर पढ़े
💟💟💟💟💟💟💟💟

नज़र और नसीब का
कुछ ऐसा इत्तफाक हैं
कि
नज़र को अक्सर वही
चीज़ पसंद आती हैं
जो नसीब में नहीं होती

और
नसीब में लिखी चीज़
अक्सर नज़र नहीं आती है
💟💟💟💟💟💟💟💟

मैंने एक दिन
भगवान से पूछा
आप मेरी दुआ
उसी वक्त
क्यों नहीं सुनते हो
जब मैं
आपसे मांगता हूँ

भगवान ने
मुस्कुरा कर के कहा
मैं तो आप के
गुनाहों की सजा भी
उस वक्त नहीं देता
जब आप करते हो
💟💟💟💟💟💟💟💟

किस्मत तो पहले ही
लिखी जा चुकी है
तो कोशिश करने से
क्या मिलेगा

क्या पता
किस्मत में लिखा हो
कि
कोशिश करने से ही मिलेगा
💟💟💟💟💟💟💟💟

ज़िन्दगी में
कुछ खोना पड़े
तो यह
दो लाइन याद रखना

जो खोया है
उसका ग़म नहीं

लेकिन

जो पाया है
वह किसी से कम नहीं

जो नहीं है
वह एक ख्वाब हैं

और

जो है
वह लाजवाब है
💟💟💟💟💟💟💟💟

इन्सान कहता है कि
पैसा आये तो
हम कुछ करके दिखाये

और
पैसा कहता हैं कि
आप कुछ करके दिखाओ
तो मैं आऊ
💟💟💟💟💟💟💟💟

बोलने से पहले
लफ्ज़ आदमी के
गुलाम होते हैं

लेकिन
बोलने के बाद इंसान
अपने लफ़्ज़ों का गुलाम
बन जाता हैँ
💟💟💟💟💟💟💟💟

ज्यादा बोझ लेकर
चलने वाले
अक्सर डूब जाते हैं

फिर चाहे वह
अभिमान का हो
या
सामान का 💟💟💟💟💟💟💟💟

जिन्दगी जख्मों
से भरी है
वक़्त को मरहम
बनाना सीख लो

हारना तो है
मौत के सामने
फ़िलहाल जिन्दगी से
जीना सीख लो

💟💟💟💟💟💟💟💟
सारा जहाॅ उसी का है
             जो मुस्कराना जानता है
         रोशनी भी उसीकी है जो शमा
             जलाना जानता है
      हर जगह मंदिर मस्जिद गिरिजाघर है
      लेकिन इश्वर तो उसीका है जो
              "सर"
          झुकाना जानता है
💜💕
अजीब तरह के लोग हैं,
इस दुनिया में,
अगरबत्ती भगवान के लिए खरीदते हैं,

और खुशबू खुद की पसंद की तय करते 🌸🌼💐🍄🌺🌹🌻 ........नवीन कुमार सुमन.........