Monday, October 31, 2016

Messages from Sardar ballabh bhai patel

On that day we will celebrate Diwali

जब मन में हो मौज बहारों की
चमकाएँ चमक सितारों की,
जब ख़ुशियों के शुभ घेरे हों
तन्हाई  में  भी  मेले  हों,
आनंद की आभा होती है
*उस रोज़ 'दिवाली' होती है ।*

       जब प्रेम के दीपक जलते हों
       सपने जब सच में बदलते हों,
       मन में हो मधुरता भावों की
       जब लहके फ़सलें चावों की,
       उत्साह की आभा होती है
       *उस रोज़ दिवाली होती है ।*

जब प्रेम से मीत बुलाते हों
दुश्मन भी गले लगाते हों,
जब कहींं किसी से वैर न हो
सब अपने हों, कोई ग़ैर न हो,
अपनत्व की आभा होती है
*उस रोज़ दिवाली होती है ।*

       जब तन-मन-जीवन सज जाएं
       सद्-भाव  के बाजे बज जाएं,
       महकाए ख़ुशबू ख़ुशियों की
      मुस्काएं चंदनिया सुधियों की,
      तृप्ति  की  आभा होती  है
      *उस रोज़ 'दिवाली' होती है .*।               -

--अटलबिहारी वाजपेयी

Tuesday, October 18, 2016

We more difficult then difficulties

जीवन में कठिनाइयाँ हमें बर्बाद करने नहीं आती हैं, बल्कि यह हमारी छुपी हुई सामर्थ्य और शक्तियों को बाहर निकलने में हमारी मदद करती हैं।  कठिनाइयों को यह जान लेने दो की आप उससे भी ज्यादा कठिन हो। - ए पी जे अब्दुल कलाम

Great morning

Saturday, October 15, 2016

दशावतार

एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत पाकर अपने विदेश में रहने वाले बेटे से फोन पर बात करते समय पूँछ बैठी: ... बेटा! कुछ पूजा-पाठ भी करते हो या फुर्सत ही नहीं मिलती?

बेटे ने माँ को बताया - "माँ,  मैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ ...
मैं अमेरिका में मानव के विकास पर काम कर रहा हूँ ...
विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन... क्या आपने उसके बारे में सुना है ?"

उसकी माँ मुस्कुरा कर बोली - “मैं डार्विन के बारे में जानती हूँ, बेटा ... मैं यह भी जानती हूँ कि तुम जो सोचते हो कि उसने जो भी खोज की, वह वास्तव में सनातन-धर्म के लिए बहुत पुरानी खबर है...“

“हो सकता है माँ !” बेटे ने भी व्यंग्यपूर्वक कहा ...

“यदि तुम कुछ होशियार हो, तो इसे सुनो,” उसकी माँ ने प्रतिकार किया...
... “क्या तुमने दशावतार के बारे में सुना है ? विष्णु के दस अवतार ?”

बेटे ने सहमति में कहा "हाँ! पर दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना?"

माँ फिर बोली: लेना-देना है मेरे लाल... मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम और मि. डार्विन क्या नहीं जानते हैं ?

पहला अवतार था मत्स्य अवतार, यानि मछली | ऐसा इसलिए कि जीवन पानी में आरम्भ हुआ | यह बात सही है या नहीं ?”

बेटा अब और अधिक ध्यानपूर्वक सुनने लगा |

उसके बाद आया दूसरा कूर्म अवतार, जिसका अर्थ है कछुआ, क्योंकि जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया 'उभयचर (Amphibian)' | तो कछुए ने समुद्र से जमीन की ओर विकास को दर्शाया |

तीसरा था वराह अवतार, जंगली सूअर, जिसका मतलब जंगली जानवर जिनमें बहुत अधिक बुद्धि नहीं होती है | तुम उन्हें डायनासोर कहते हो, सही है ? बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई |

चौथा अवतार था नृसिंह अवतार, आधा मानव, आधा पशु, जंगली जानवरों से बुद्धिमान जीवों तक विकास |

पांचवें वामन अवतार था, बौना जो वास्तव में लंबा बढ़ सकता था | क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों है ? क्योंकि मनुष्य दो प्रकार के होते थे, होमो इरेक्टस और होमो सेपिअंस, और होमो सेपिअंस ने लड़ाई जीत ली |"

बेटा दशावतार की प्रासंगिकता पर स्तब्ध हो रहा था जबकि उसकी माँ पूर्ण प्रवाह में थी...

छठा अवतार था परशुराम - वे, जिनके पास कुल्हाड़ी की ताकत थी, वो मानव जो गुफा और वन में रहने वाला था | गुस्सैल, और सामाजिक नहीं |

सातवां अवतार था मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, सोच युक्त प्रथम सामाजिक व्यक्ति, जिन्होंने समाज के नियम बनाए और समस्त रिश्तों का आधार |

आठवां अवतार था जगद्गुरु श्री कृष्ण, राजनेता, राजनीतिज्ञ, प्रेमी जिन्होंने ने समाज के नियमों का आनन्द लेते हुए यह सिखाया कि सामाजिक ढांचे में कैसे रहकर फला-फूला जा सकता है |

नवां अवतार था भगवान बुद्ध, वे व्यक्ति जो नृसिंह से उठे और मानव के सही स्वभाव को खोजा | उन्होंने मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की |

और अंत में दसवां अवतार कल्कि आएगा, वह मानव जिस पर तुम काम कर रहे हो | वह मानव जो आनुवंशिक रूप से अति-श्रेष्ठ होगा |

बेटा अपनी माँ को अवाक होकर सुनता रहा |
अंत में बोल पड़ा "यह अद्भुत है माँ, भारतीय दर्शन वास्तव में अर्थपूर्ण है |"

वन्देमातरम ....!!!

...पुराण अर्थपूर्ण हैं | सिर्फ आपका देखने का नज़रिया होना चाहिए धार्मिक या वैज्ञानिक ?

Monday, October 10, 2016

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Saturday, October 8, 2016

Mango Tree


एक छोटे बालक को आम का पेड बहोत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वो तुरंत आम के पेड के पास पहुंच जाता। पेड के उपर चढना, आम खाना और खेलते हुए थक जाने पर आम की छाया मे ही सो जाना। बालक और उस पेड के बीच एक अनोखा संबंध बंध गया था।
*
बच्चा जैसे जैसे बडा होता गया वैसे वैसे उसने पेड के पास आना कम कर दिया।
कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया।
आम का पेड उस बालक को याद करके अकेला रोता रहता।
एक दिन अचानक पेड ने उस बच्चे को अपनी और आते देखा। आम का पेड खुश हो गया।
*
बालक जैसे ही पास आया  तुरंत पेड ने कहा, "तु कहां चला गया था? मै रोज़ तुम्हे याद किया करता था। चलो आज दोनो खेलते है।"
बच्चा अब बडा हो चुका था, उसने आम के पेड से कहा, अब मेरी खेलने की उम्र नही है। मुझे पढना है,
पर मेरे पास फी भरने के लिए पैसे नही है।"
पेड ने कहा, "तु मेरे आम लेकर बाजार मे जा और बेच दे,
इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।"
*
उस बच्चे ने आम के पेड से सारे आम उतार लिए, पेड़ ने भी ख़ुशी ख़ुशी दे दिए,और वो बालक उन सब आमो को लेकर वहा से चला गया।
*
उसके बाद फिर कभी वो दिखाई नही दिया।
आम का पेड उसकी राह देखता रहता।
एक दिन अचानक फिर वो आया और कहा,
अब मुझे नौकरी मिल गई है, मेरी शादी हो चुकी है, मेरा संसार तो चल रहा है पर मुझे मेरा अपना घर बनाना है इसके लिए मेरे पास अब पैसे नही है।"
*
आम के पेड ने कहा, " तू चिंता मत कर अभी में हूँ न,
तुम मेरी सभी डाली को काट कर ले जा,
उसमे से अपना घर बना ले।"
उस जवान ने पेड की सभी डाली काट ली और ले के चला गया।
*
आम का पेड के पास कुछ नहीं था वो  अब बिल्कुल बंजर हो गया था।
कोई उसके सामने भी नही देखता था।
पेड ने भी अब वो बालक/ जवान उसके पास फिर आयेगा यह आशा छोड दी थी।
*
फिर एक दिन एक वृद्ध वहां आया। उसने आम के पेड से कहा,
तुमने मुझे नही पहचाना, पर मै वही बालक हूं जो बारबार आपके पास आता और आप उसे हमेशा अपने टुकड़े काटकर भी मेरी मदद करते थे।"
आम के पेड ने दु:ख के साथ कहा,
"पर बेटा मेरे पास अब ऐसा कुछ भी नही जो मै तुझे दे सकु।"
वृद्ध ने आंखो मे आंसु के साथ कहा,
"आज मै कुछ लेने नही आया हूं, आज तो मुझे तुम्हारे साथ जी भरके खेलना है, तुम्हारी गोद मे सर रखकर सो जाना है।"
*
ईतना कहते वो रोते रोते आम के पेड से लिपट गया और आम के पेड की सुखी हुई डाली फिर से अंकुरित हो उठी।
*
वो वृक्ष हमारे माता-पिता समान है, जब छोटे थे उनके साथ खेलना अच्छा लगता था।
जैसे जैसे बडे होते गये उनसे दुर होते गये।
पास तब आये जब जब कोई जरूरत पडी, कोई समस्या खडी हुई।
आज भी वे माँ बाप उस बंजर पेड की तरह अपने बच्चों की राह देख रहे है।
आओ हम जाके उनको लिपटे उनके गले लग जाये जिससे उनकी वृद्धावस्था फिर से अंकुरित हो जाये।
यह कहानी पढ कर थोडा सा भी किसी को एहसास हुआ हो औरअगर अपने माता-पिता से थोडा भी प्यार करते हो तो...🙏🙏🙏🙏🙏🏻🙏🏻
माँ बाप आपको सिर्फ प्यार प्यार प्यार  देंगे |

Monday, October 3, 2016

Life in relationship

नाज हमें है वीरों पर

नाज हमें है उन वीरों पर,
                जो मान बड़ा कर आये हैं।
दुश्मन को घुसकर के मारा,
                शान बड़ा कर आये हैं...।I

मोदी जी अब मान गये हम,
                छप्पन   इंची   सीना   है।
कुचल, मसल दो उन सबको अब,
                चैन  जिन्होंने  छीना  है....।I

और आस अब बड़ी वतन की,
                अरमान .बड़ा कर  आये  हैं।
नाज हमें है उन वीरों पर,
                जो शान  बड़ा कर आये हैं...।I

एक मरा तो सौ मारेंगे,
                अब  रीत  यही  बन  जाने  दो।
लहू का बदला सिर्फ लहू है,
                अब गीत यही बन जाने दो...।I

गिन ले लाशें दुश्मन जाकर,
                 शमसान बड़ा कर आये हैं।
नाज हमें है उन वीरों पर,
                 जो मान बड़ा कर आये हैं....।I

अब बारी उन गद्दारों की,
                 जो  घर  के  होकर  डसते  हैं।
भारत की मिट्टी का खाते,
                 मगर  उसी  पर  हँसते  हैं....।I

उनको भी चुन चुन मारेंगे,
                 ऐलान  बड़ा  कर  आये  हैं।
नाज हमें है उन वीरों पर,
                 जो मान बड़ा कर आये हैं....।I