*'अकेलापन'* इस संसार में सबसे बड़ी सज़ा है.!
और *'एकांत'*
इस संसार में सबसे बड़ा वरदान.!!
ये दो समानार्थी दिखने वाले
शब्दों के अर्थ में
. आकाश पाताल का अंतर है।
*अकेलेपन* में छटपटाहट है
तो *एकांत* में आराम है।
*अकेलेपन* में घबराहट है
तो *एकांत* में शांति।
जब तक हमारी नज़र
बाहरकी ओर है तब तक हम.
*अकेलापन* महसूस करते हैं
और
जैसे ही नज़र भीतर की ओर मुड़ी
तो *एकांत* अनुभव होने लगता है।
ये जीवन और कुछ नहीं
वस्तुतः
*अकेलेपन* से *एकांत* की ओर
एक यात्रा ही है.!!
ऐसी *यात्रा* जिसमें
*रास्ता* भी हम हैं, *राही* भी हम हैं
और *मंज़िल* भी हम ही हैं.!!
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