नितीश तेरे श्रृंखला की,
हर कड़ी कमजोर है ।
राष्ट्र निर्माताओं के द्वारा,
उसका विरोध पुरजोर है ।
चले हो कीर्तिमान रचने,
टूटे दिलो को साथ लेके ।
ठग दिए हो शिक्षकों को,
नकली वेतनमान देके ।
विकास पुरुष का तमगा लेकर ,
सुशासन की बात करते हो ।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को ,
लागू करने से डरते हो ।
हो अगर विकास पुरुष तुम,
तो कुछ नही एक काम करो ।
समान काम करने वालो के,
वेतन भी समान करो ।
- by J. N. Mandal,
SDPG +2 School,
Gohi, Samastipur
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