Saturday, June 20, 2020

नाक की पगड़ी

*😷  "नाक की पगड़ी" 😷*



*कई सदियों से नाक और सिर में*
*यह तकरार थी तगड़ी,*
*कहती थी नाक, जब मुझसे है इज़्ज़त,*
*तो फिर सिर के पास ही क्यों पगड़ी !!*

*नाक का कहना था,*
*कि सभी मुहावरों में है मेरा फसाना,*
*चाहे वो नाक कटना हो,*
*नाक नीची होना,*
*या हो फिर, नाकों चने चबाना !*

*क्यों फिर सर को ही है केवल,*
*पगड़ी और टोपी का अधिकार,*
*जबकि इंसान की इज़्ज़त का,*
*मुझसे है सीधा सरोकार!*

*कहा विधाता ने 'नक्कू' जी,*
*दिन तेरा भी एक दिन आएगा,*
*सिर की पगड़ी भूलके इंसा,*
*बस तुझको ही ढकता जाएगा*

*फला विधाता का वरदान,*
*देखो नाक की बदली शान,*
*अब नाक की टोपी सर्वोपरि है,*
*बिन इसके खतरे में जान !*
*इस युग में नाक तू सबसे ऊपर,*
*तुझ से जीवन के आयाम,*

*भांति भांति के आवरण (मास्क) तेरे,*
*सुबह शाम के प्राणायाम !*
*इस पगड़ी-टोपी के झंझट में,*
*हुआ हम सब का काम तमाम,*
*अब नाक बचाने को केवल,*
*नाक ढके घूम रहा इंसान !!*
👳‍♂️😷

No comments:

Post a Comment