*"नहा कर गंगा में सब पाप धो आया ...*
*वहीं से धोये पापों का पानी भर लाया ....*
वाह रे इन्सान तरीका तेरा समझ में नहीं आया...
*"पाप हमारी सोच से होता हैं,*
*शरीर से नही*
*और*
*तीर्थों का जल,*
*हमारे शरीर को साफ करता हैं,*
*हमारी सोच को नही।"*
*ग़लती नीम की नहीं*
*कि वो कड़वा है
*ख़ुदगर्ज़ी जीभ की है*
*जिसे मीठा पसंद है ।
🙏🏻आपका दिन मंगलमय हो!🙏🏻
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