Friday, May 26, 2017

तीर्थों का जल

*"नहा कर गंगा में  सब पाप धो  आया ...*
*वहीं  से  धोये  पापों  का  पानी  भर  लाया ....*

वाह  रे इन्सान  तरीका  तेरा  समझ में  नहीं  आया...

*"पाप हमारी सोच से होता हैं,*
          *शरीर से नही*
                *और*
        *तीर्थों का जल,*
*हमारे शरीर को साफ करता हैं,*
       *हमारी सोच को नही।"*

*ग़लती नीम की नहीं*
            *कि वो कड़वा है

*ख़ुदगर्ज़ी जीभ की है*
        *जिसे मीठा पसंद है ।

        
🙏🏻आपका दिन मंगलमय हो!🙏🏻

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