Thursday, September 15, 2016

Akbar and Birbal


अकबर और बीरबल शाम को पैदल ही हवाखोरी के लिये चले जा रहे थे। चलते-चलते बीरबल ने एक पौधे के सामने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया।अकबर ने पूछा कि "बीरबल तुमने इस पौधे को प्रणाम क्यों किया"।
बीरबल ने उत्तर दिया "हुजूर, हम हिन्दू इसे तुलसी माता कहते हैं। यह बहुत ही परमपवित्र, पूजनीय और गुणकारी है।
अकबर ने आव देखा, ना ताव और तुलसी मैंया को उखाड़ फेंका तथा बीरबल का मजाक बनाते हुये कहा कि -"लो बीरबल! मैंनें तुम्हारी माँ को उखाड़ कर फेंक दिया। अब कहो।"
बीरबल चुपचाप आगे बढ लिये। घूमते-घूमते दोनों बस्ती से दूर काफी आगे खेतों की ओर निकल आये। तुलसी को तो मात्र हाथ जोड़ कर प्रणाम ही किया था, लेकिन खेतों में एक बड़े से पौधे को देख कर बीरबल ने कुछ दूरी से ही दण्डवत् प्रणाम किया और चलने का उपक्रम किया। (इस पौधे को छूने और शरीर के किसी भी अंग पर लगाने से बुरी तरह से खुजली शुरू हो जाती है)।
अकबर ने पहले की भांति सोचकर उस पौधे को भी तुलसी की तरह उखाड़ना चाहा लेकिन जड़े गहराई तक होने के कारण उखाड़ नहीं पाये।
अब अकबर ने उस पौधे से लिपट कर और खूब जोर लगा कर उखाड़ फेंका तथा एक विजयी मुस्कान बीरबल की तरफ फेंकी। बदले में बीरबल ने भी एक व्यंग्यात्मक मुस्कान के साथ अकबर की ओर देखा और वापस लौट चलें।
अब अकबर को खुजली होनी शुरू हुई और शरीर में जहां-जहां भी हाथ लगाये, भयंकर खुजली शुरू हो जाये। परेशान होकर बीरबल से कहा - "ये तुम्हारी दूसरी माँ कौन थी और कैसी है?"
बीरबल ने उत्तर दिया: "हुजूर हमारी तुलसी मैंया तो बड़ी सीधी-सादी व सरल है। वो तो किसी को कुछ नही कहती। उसका कोई बुरा भी करें तो भी वो उसका भला ही करती हैं, लेकिन ये तो तो हमारा बाप है। बहुत ही कड़ियल और जिद्दी है, ये बदला लिये बगैर कभी नहीं छोड़ता"।
अकबर ने परेशान होकर कहा: "अपने इस बाप से मेरा पीछा छुड़वाओं। मैं तौबा करता हूॅ कि हिन्दुओं के माँ-बाप से कभी पंगा नहीं लूंगा"।
बीरबल ने कहा - "हुजूर! हम हिन्दुओं की एक माता और है, गौमाता। वो आपको इस मुसीबत से छुटकारा दिला सकती है।" अकबर ने कहा- "जल्दी करो, जो कुछ करना है करो, मगर अपने इस बाप से मेरा पिंड छुड़वाओ।
बीरबल ने बताया - "बादशाह सलामत आपको अपने पूरे बदन पर गऊमाता का गोबर लगाकर कई प्रहर तक बैठना होगा, तभी आपको राहत मिल सकती है, अन्यथा दूसरा कोई उपाय नही है"।
अकबर ने अपने पूरे शरीर पर गोबर पुतवाया और कई घण्टे की यातना के बाद कष्ट से मुक्ति पाई। सनातन धर्म के सभी रीति-रिवाज और जीवन शैली पूरी तरह से विज्ञान पर आधारित है, जिसे आधुनिक विज्ञान एवं शोध एक-एक करके प्रमाणित करते जा रहे हैं।
सनातन धर्म की जय हो। विश्व का कल्याण हो।
🚩जय माताजी जय श्री राम🚩

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