!! सुप्रभात !!
*धैर्य* की अपनी *सीमायें* हैं,
अगर *ज्यादा* हो जाये तो *कायरता* कहलाती है❗
!! सुप्रभात !!
*धैर्य* की अपनी *सीमायें* हैं,
अगर *ज्यादा* हो जाये तो *कायरता* कहलाती है❗
*हर किसी के अन्दर अपनी*
*"ताकत"और अपनी"कमज़ोरी"*
*होती है...*
*"मछली"जंगल मे नही दौड*़
*सकती और"शेर"पानी मे राजा*
*नही बन सकता.....!!*
*इसलिए*
*"अहमियत"*
*सभी को देनी चाहिये*...
🙏🌹 शुभ प्रभात🌹🙏
*आज परछाई से पूछ ही लिया*
*क्यों चलती हो , मेरे साथ*
*उसने भी हँसके कहा,*
*दूसरा कौन है तेरे साथ*
🙏🏻 🙏🏻
🍃🇬🇴🇴🇩🍂
🍂🇲🇴🇷🇳🇮🇳 🇬🌿
✍ _*ताकत की जरुरत*_
_*तभी होती है..,*_
_*जब कुछ*_
_*बुरा करना हो..,*_
_*वरना*_
_*दुनिया में सब कुछ*_
_*पाने के लिए*_
_*प्रेम ही काफी है।*_
*प्रेम ताकत से महान है।*
🌹🌹💞Good Morning💞 🌹🌹
*"नहा कर गंगा में सब पाप धो आया ...*
*वहीं से धोये पापों का पानी भर लाया ....*
वाह रे इन्सान तरीका तेरा समझ में नहीं आया...
*"पाप हमारी सोच से होता हैं,*
*शरीर से नही*
*और*
*तीर्थों का जल,*
*हमारे शरीर को साफ करता हैं,*
*हमारी सोच को नही।"*
*ग़लती नीम की नहीं*
*कि वो कड़वा है
*ख़ुदगर्ज़ी जीभ की है*
*जिसे मीठा पसंद है ।
🙏🏻आपका दिन मंगलमय हो!🙏🏻
चश्मा साफ़ करते हुए उस बुज़ुर्ग ने
अपनी पत्नी से कहा : हमारे ज़माने में
मोबाइल नहीं थे...
*पत्नी* :
पर ठीक 5 बजकर 55 मिनट पर
मैं पानी का ग्लास लेकर
दरवाज़े पे आती और
आप आ पहुँचते...
*पति* :
मैंने तीस साल नौकरी की
पर आज तक मैं ये नहीं समझ
पाया कि
मैं आता इसलिए तुम
पानी लाती थी
या तुम पानी लेकर आती थी
इसलिये मैं आता था...
*पत्नी* :
हाँ... और याद है...
तुम्हारे रिटायर होने से पहले
जब तुम्हें डायबीटीज़ नहीं थी
और मैं तुम्हारी मनपसन्द खीर बनाती
तब तुम कहते कि
आज दोपहर में ही ख़्याल आया
कि खीर खाने को मिल जाए
तो मज़ा आ जाए...
*पति* :
हाँ... सच में...
ऑफ़िस से निकलते वक़्त
जो भी सोचता,
घर पर आकर देखता
कि तुमने वही बनाया है...
*पत्नी* :
और तुम्हें याद है
जब पहली डिलीवरी के वक़्त
मैं मैके गई थी और
जब दर्द शुरु हुआ
मुझे लगा काश...
तुम मेरे पास होते...
और घंटे भर में तो...
जैसे कोई ख़्वाब हो...
तुम मेरे पास थे...
*पति* :
हाँ... उस दिन यूँ ही ख़्याल
आया
कि ज़रा देख लूँ तुम्हें...
*पत्नी* :
और जब तुम
मेरी आँखों में आँखें डाल कर
कविता की दो लाइनें बोलते...
*पति* :
हाँ और तुम
शरमा के पलकें झुका देती
और मैं उसे
कविता की 'लाइक' समझता...
*पत्नी* :
और हाँ जब दोपहर को चाय
बनाते वक़्त
मैं थोड़ा जल गई थी और
उसी शाम तुम बर्नोल की ट्यूब
अपनी ज़ेब से निकाल कर बोले..
इसे अलमारी में रख दो...
*पति* :
हाँ... पिछले दिन ही मैंने देखा था
कि ट्यूब ख़त्म हो गई है...
पता नहीं कब ज़रूरत पड़ जाए..
यही सोच कर मैं ट्यूब ले आया था...
*पत्नी* :
तुम कहते ...
आज ऑफ़िस के बाद
तुम वहीं आ जाना
सिनेमा देखेंगे और
खाना भी बाहर खा लेंगे...
*पति* :
और जब तुम आती तो
जो मैंने सोच रखा हो
तुम वही साड़ी पहन कर आती...
फिर नज़दीक जा कर
उसका हाथ थाम कर कहा :
हाँ, हमारे ज़माने में
मोबाइल नहीं थे...
पर...
हम दोनों थे!!!
*पत्नी* :
आज बेटा और उसकी बहू
साथ तो होते हैं पर...
बातें नहीं व्हाट्सएप होता है...
लगाव नहीं टैग होता है...
केमिस्ट्री नहीं कमेन्ट होता है...
लव नहीं लाइक होता है...
मीठी नोकझोंक नहीं
अनफ़्रेन्ड होता है...
उन्हें बच्चे नहीं कैन्डीक्रश सागा,
टैम्पल रन और सबवे सर्फ़र्स चाहिए...
*पति* :
छोड़ो ये सब बातें...
हम अब Vibrate Mode पर हैं...
हमारी Battery भी 1 लाइन पे है...
अरे!!! कहाँ चली?
*पत्नी* :
चाय बनाने...
*पति* :
अरे... मैं कहने ही वाला था
कि चाय बना दो ना...
*पत्नी* :
पता है...
मैं अभी भी कवरेज क्षेत्र में हूँ
और मैसेज भी आते हैं...
दोनों हँस पड़े...
*पति* :
हाँ, हमारे ज़माने में
मोबाइल नहीं थे...
😊🙏😊🙏😊🙏
To every lovely couple.
By 15 Year Old Girl:
"Love Is When We Get Caught For Bunking The Classes 'n He Takes The Blame"..
By 18 Year Old Girl:
"Love Is When At Farewell He Hugs Me 'n Tells That We Will Stay In Contact"..
By 21 Year Old Girl:
"Love Is When He Calls Me Every Night 'n Keeps Talking About Useless Things Whole Night Happily"..
By 25 Year Old Girl:
"Love Is When He Proposes Me With A Ring 'n Makes A Fool Of Him Self 'n Says : "You Know I Love You"...
By 35 Year Old Woman:
"Love Is When He Cleans The House Seeing Me Tired"..
By 50 Year Old Woman:
"Love Is When He Is ILL 'n Still Cracks A Joke To Make Me Laugh"..
By 60 Year Old Woman:
"Love Is When He Is Taking His Last Breath 'n Saying "I'm Glad As I Know What Love Is" ...
कल दिल्ली से गोवा की उड़ान में एक सरदारजी मिले। साथ में उनकी सरदारनी भी थीं।
सरदारजी की उम्र करीब 80 साल रही होगी। मैंने पूछा नहीं लेकिन सरदारनी भी 75 पार ही रही होंगी। उम्र के सहज प्रभाव को छोड़ दें, तो दोनों फिट थे।
सरदारनी खिड़की की ओर बैठी थीं, सरदारजी बीच में और सबसे किनारे वाली सीट मेरी थी।
उड़ान भरने के साथ ही सरदारनी ने कुछ खाने का सामान निकाला और सरदारजी की ओर किया। सरदार जी कांपते हाथों से धीरे-धीरे खाने लगे।
सरदार जी ने कोई जूस लिया था। खाना खाने के बाद जब उन्होंने जूस की बोतल के ढक्कन को खोलना शुरू किया तो ढक्कन खुले ही नहीं। सरदारजी कांपते हाथों से उसे खोलने की कोशिश कर रहे थे।
मैं लगातार उनकी ओर देख रहा था। मुझे लगा कि ढक्कन खोलने में उन्हें मुश्किल आ रही है तो मैंने कहा कि लाइए, मैं खोल देता हूं।
सरदारजी ने मेरी ओर देखा, फिर मुस्कुराते हुए कहने लगे कि बेटा ढक्कन तो मुझे ही खोलना होगा।
मैंने कुछ पूछा नहीं, लेकिन सवाल भरी निगाहों से उनकी ओर देखा।
सरदारजी ने कहा, बेटाजी, आज तो आप खोल देंगे। लेकिन अगली बार कौन खोलेगा? इसलिए मुझे खुद खोलना आना चाहिए। सरदारनी भी सरदारजी की ओर देख रही थीं। जूस की बोतल का ढक्कन उनसे भी नहीं खुला था। पर सरदारजी लगे रहे और बहुत बार कोशिश करके उन्होंने ढक्कन खोल ही दिया। दोनों आराम से जूस पी रहे थे।
कल मुझे दिल्ली से गोवा की उड़ान में ज़िंदगी का एक सबक मिला।
सरदारजी ने मुझे बताया कि उन्होंने ये नियम बना रखा है कि अपना हर काम वो खुद करेंगे। घर में बच्चे हैं, भरा पूरा परिवार है। सब साथ ही रहते हैं। पर अपनी रोज़ की ज़रूरत के लिए सरदारजी सिर्फ सरदारनी की मदद लेते हैं, बाकी किसी की नहीं। वो दोनों एक दूसरे की ज़रूरतों को समझते हैं।
सरदारजी ने मुझसे कहा कि जितना संभव हो, अपना काम खुद करना चाहिए। एक बार अगर काम करना छोड़ दूंगा, दूसरों पर निर्भर होऊंगा, तो समझो बेटा कि बिस्तर पर ही पड़ जाऊंगा। फिर मन हमेशा यही कहेगा कि ये काम इससे करा लूं, वो काम उससे। फिर तो चलने के लिए भी दूसरों का सहारा लेना पड़ेगा। अभी चलने में पांव कांपते हैं, खाने में भी हाथ कांपते हैं, पर जब तक आत्मनिर्भर रह सको, रहना चाहिए।
हम गोवा जा रहे हैं, दो दिन वहीं रहेंगे। हम महीने में एक दो बार ऐसे ही घूमने निकल जाते हैं। बेटे-बहू कहते हैं कि अकेले मुश्किल होगी, पर उन्हें कौन समझाए कि मुश्किल तो तब होगी, जब हम घूमना-फिरना बंद करके खुद को घर में कैद कर लेंगे। पूरी ज़िंदगी खूब काम किया। अब सब बेटों को दे कर अपने लिए महीने के पैसे तय कर रखे हैं और हम दोनों उसी में आराम से घूमते हैं।
जहां जाना होता है एजेंट टिकट बुक करा देते हैं, एयरपोर्ट पर टैक्सी आ जाती है, होटल में कोई तकलीफ होनी नहीं है। स्वास्थ्य एकदम ठीक है। कभी-कभी जूस की बोतल ही नहीं खुलती। पर थोड़ा दम लगाता हूं तो वो भी खुल ही जाती है।
तय किया था कि इस बार की उड़ान में लैपटॉप पर एक पूरी फिल्म देख लूंगा। पर यहां तो मैं जीवन की फिल्म देख रहा था। एक ऐसी फिल्म जिसमें जीवन जीने का संदेश छिपा था।
“जब तक हो सके, आत्मनिर्भर होना चाहिए।”
एक बेटा अपने वृद्ध पिता को रात्रि भोज के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर
गया।
खाने के दौरान वृद्ध पिता ने कई बार भोजन अपने कपड़ों पर गिराया।
रेस्टॉरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग वृद्ध को घृणा की नजरों से देख रहे थे
लेकिन वृद्ध का बेटा शांत था।
खाने के बाद बिना किसी शर्म के बेटा, वृद्ध को वॉश रूम ले गया। उनके
कपड़े साफ़ किये, उनका चेहरा साफ़ किया, उनके बालों में कंघी की,चश्मा
पहनाया और फिर बाहर लाया।
सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे।बेटे ने बिल पे किया और वृद्ध के
साथ
बाहर जाने लगा।
तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और उससे पूछा " क्या
तुम्हे नहीं लगता कि यहाँ
अपने पीछे तुम कुछ छोड़ कर जा रहे हो ?? "
बेटे ने जवाब दिया" नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ कर
नहीं जा रहा। "
वृद्ध ने कहा " बेटे, तुम यहाँ
छोड़ कर जा रहे हो,
प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा (सबक) और प्रत्येक पिता के लिए उम्मीद
(आशा)। "
आमतौर पर हम लोग अपने बुजुर्ग माता पिता को अपने साथ बाहर ले जाना
पसंद नहीँ करते
और कहते हैं क्या करोगे आप से चला तो जाता
नहीं ठीक से खाया भी नहीं जाता आप तो घर पर ही रहो वही अच्छा
होगा.
क्या आप भूल गये जब आप छोटे थे और आप के माता पिता आप को अपनी
गोद मे उठा कर ले जाया
करते थे,
आप जब ठीक से खा नही
पाते थे तो माँ आपको अपने हाथ से खाना खिलाती थी और खाना गिर
जाने पर डाँट नही प्यार जताती थी
फिर वही माँ बाप बुढापे मे बोझ क्यो लगने लगते हैं???
माँ बाप भगवान का रूप होते है उनकी सेवा कीजिये और प्यार दीजिये...
क्योंकि एक दिन आप भी बूढ़े होगें।
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